दिल्ली में देश का पहला माइक्रो ग्रिड तैयार, कम आबादी वाले क्षेत्रों तक बिजली पहुंचाने का खर्च होगा कम
टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) ने भारत का पहला पावर वोल्टेज ट्रांसफार्मर (पीवीटी) माइक्रो ग्रिड विकसित किया है। यह सीधे हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन से उपभोक्ताओं को बिजली प्रदान करता है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होती है। रोहिणी में निसिन इलेक्ट्रिक के सहयोग से शुरू की गई यह परियोजना, पारंपरिक ग्रिड की तुलना में कम खर्चीली (लगभग 1.5 करोड़ रुपये) है और लगभग 60 घरों को बिजली दे सकती है। यह उन स्थानों के लिए एक प्रभावी समाधान है जहाँ ग्रिड बनाना महंगा है या संभव नहीं है।
रोहिणी में तैयार किया गया माइक्रो ग्रिड।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्लीः टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) ने देश का पहला पावर वोल्टेज ट्रांसफार्मर (पीवीटी) माइक्रो ग्रिड तैयार किया है।
इससे ट्रांसमिशन लाइन से सीधे हाई वोल्टेज पावर को कम वोल्टेज पावर में बदल कर उपभोक्ताओं को उनके घरों तक बिजली उपलब्ध होगी।
परंपरागत तरीके से ट्रांसमिशन लाइन से ग्रिड और उसके बाद सब स्टेशन औैर वहां से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाई जाती है।
जापान की कंपनी के साथ पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया शुरू
रोहिणी में जापान की निसिन इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड के सहयोग से इसे पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत शुरू किया गया है। दोनों कंपनियों ने 21 अगस्त, 2024 को समझौता किया था। इससे बिजली आपूर्ति शुरू हो गई है।
टीपीडीडीएल के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
बिजली ग्रिड से दूर वाले स्थानों पर बिजली उपलब्ध कराने में परेशानी होती है। इस तरह से स्थानों के लिए अलग से ग्रिड बनाने में 30 से 40 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
कम आबादी वाले स्थानों पर उपयोगी है माइक्रो ग्रिड
कम आबादी वाले स्थानों के लिए यह बहुत खर्चीला होता है। ऐसे स्थानों के लिए माइक्रो ग्रिड उपयोगी है। वहां से गुजर रहे हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन के पास इसका निर्माण किया जा सकता है।
इसे लगभग डेढ़ करोड़ में यह तैयार हो जाता है। इससे लगभग 60 घरों में बिजली आपूर्ति की जा सकती है। इसके रखरखाव में भी अधिक खर्च नहीं होता है।
रोहिणी में शुरू माइक्रा ग्रिड का एक वर्ष तक होगा अध्ययन
रोहिणी में शुरू हुए माइक्रो ग्रिड के परिणाम का एक वर्ष तक अध्ययन किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि उत्तर व पूर्वोत्तर भारत में ऐसे कई इलाके हैं जहां ट्रांसमिशन लाइन तो है लेकिन पर्याप्त पावर ग्रिड विकसित नहीं हुए हैं।
ऐसे क्षेत्रों में मिनी ग्रिड डीजल जनरेटर का उपयोग होता है। इससे वायु प्रदूषण होने के साथ ही यह महंगा पड़ता है। ओडिशा में बिजली वितरण करने वाली कंपनी के साथ इस तरह के ग्रिड लगाने को लेकर चर्चा हो रही है।
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