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    BBC डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अभी गतिरोध थमने के आसार नहीं, अन्य कॉलेजों में भी हो सकता है बवाल

    By Rahul ChauhanEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 29 Jan 2023 10:20 AM (IST)

    BBC Documentary Row बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग को लेकर दिल्ली के विश्वविद्यालयों में अभी गतिरोध थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में भी छात्र संगठन ने अभी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का इरादा नहीं छोड़ा है।

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    BBC डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अभी गतिरोध थमने के आसार नहीं

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन की स्क्रीनिंग को लेकर राजधानी के विश्वविद्यालयों में अभी गतिरोध थमने के आसार नहीं हैं। जामिया, जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय और अंबेडकर विश्वविद्यालय में स्क्रीनिंग के दौरान जो गतिरोध देखने को मिला है वह अन्य कालेजों में भी देखने को मिल सकता है।

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    इसका कारण यह है कि स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआइ) की केंद्रीय कार्य समिति द्वारा अपनी सभी राज्य इकाइयों से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कराने के आव्हान के बाद वामपंथी छात्र संगठन इसकी स्क्रीनिंग अधिक से अधिक शिक्षण संस्थानों में कराने का प्रयास कर रहे हैं। तो वहीं सरकार द्वारा इसके प्रसारण पर रोक लगाने के बाद कोई भी विश्वविद्यालय प्रशासन इसकी स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दे रहा है।

    जामिया और डीयू में पुलिस ने नहीं होने दी स्क्रीनिंग

    जेएनयू में स्क्रीनिंग के दौरान बिजली काटने, इंटरनेट सेवाएं बाधित करने के बाद भी छात्रों ने अपने फोन व मोबाइल से स्क्रीनिंग की। यही स्थिति अंबेडकर विश्वविद्यालय में भी देखने को मिली। जामिया और डीयू में पुलिस ने छात्रों को बलपूर्वक रोककर स्क्रीनिंग नहीं होने दी। इससे वामपंथी छात्रों में रोष है। अब ये छात्र संगठन जामिया, जेएनयू और डीयू के अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कराने की योजना बना रहे हैं।

    इन छात्र संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जबरन डॉक्यूमेंट्री को देखने से रोका जा रहा है। इससे छात्रों में आक्रोश बढ़ रहा है। हम अब जब इस डॉक्यूमेंट्री का दूसरा भाग आएगा तो हम उसकी भी स्क्रीनिंग कराएंगे। डीयू में एसएफआइकी सहसंयोजक शमा का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग से विश्वविद्यालयों का माहौल खराब नहीं हो रहा बल्कि जब प्रशासन द्वारा पुलिस को बुलाकर छात्रों को उठवाया जा रहा है इससे माहौल खराब हो रहा है।

    वहीं, विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों का कहना है कि ये वामपंथी छात्र संगठन बेवजह डॉक्यूमेंट्री के नाम पर विश्वविद्यालयों का माहौल खराब कर रहे हैं। अधिकतर छात्रों का इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग से कोई लेना-देना नहीं है। सिर्फ वामपंथी छात्र एक एजेंडे के तहत माहौल खराब करने के लिए डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर रहे हैं।

    "छात्रों को डॉक्यूमेंट्री से कोई मतलब नहीं"

    जेएनयू में विद्यार्थी परिषद के इकाई अध्यक्ष रोहित का कहना है कि इस समय परिसर में माहौल सामान्य है किसी छात्रों को डॉक्यूमेंट्री से कोई मतलब नहीं है। सभी छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं। स्क्रीनिंग को लेकर जितना भी बवाल यहां किया गया उसमें जेएनयू के छात्र कम बल्कि एसएफआइ के बाहरी कार्यकर्ता अधिक थे।

    भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन (बीएएसएफ) की डीयू इकाई के अध्यक्ष आशुतोष का कहना है कि पुलिस ने हमें शुक्रवार को हिरासत में लेकर स्क्रीनिंग को रोक दिया। लेकिन, हम स्क्रीनिंग जरूर करेंगे। इसकी योजना बना रहे हैं।

    वहीं, एसएफआइ जामिया इकाई का कहना है कि हमने अभी स्क्रीनिंग की योजना को वापस नहीं लिया है। अभी छात्रों को ज्यादा परेशान किया गया है और परीक्षाएं भी चल रही हैं इसलिए अभी हमने इसे टाल दिया है। वहीं, अंबेडकर विश्वविद्यालय में एसएफआइ की इकाई अध्यक्ष नादिया ने कहा कि हम डॉक्यूमेंट्री का जब दूसरा भाग आएगा तो उसकी भी स्क्रीनिंग कराएंगे।