शहनाई की गूंज के साथ दोगुने हुए सजावटी फूलों के दाम
शहनाई की गूंज के साथ फूलों का बाजार महकने लगा है। पिछले साल की तुलना में इस बार विवाह समारोह ज्यादा हो रहे हैं। मेहमानों की संख्या अधिक अनुमन्य होने स ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
शहनाई की गूंज के साथ फूलों का बाजार महकने लगा है। पिछले साल की तुलना में इस बार विवाह समारोह ज्यादा हो रहे हैं। मेहमानों की संख्या अधिक अनुमन्य होने से आयोजन की भव्यता पर लोग जोर दे रहे हैं। ऐसे में सजावट के लिए फूलों की मांग बढ़ी है। गाजीपुर फूल मंडी के कारोबारियों के पास इस बार बुकिग ज्यादा है। मांग की तुलना में सजावटी फूलों की आवक सीमित है। खेत से मंडी तक फूल लाने का किराया ज्यादा हो गया है। इस वजह से सजावटी फूल दोगुने तक महंगे हो गए हैं। इससे जाहिर है विवाह आयोजन करने वालों का बजट बढ़ेगा।
सबसे ज्यादा इस्तेमाल गुलाब का होता है। हाल यह है कि 80 रुपये तक बिकने वाली गुलाब की पत्तियां अब 150 से 200 रुपये किलो मिल रही हैं। सजावट के अलावा जयमाला बनाने और फूलों की चादर तैयार करने में इसका उपयोग होता है। 150 रुपये तक सीमित रहने वाला बीस गुलाब के फूलों का गुच्छा 300 से 350 रुपये में मिल रहा है। सजावट के अलावा इसे गुलदस्ता बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। लिली के गुच्छे का दाम 500 रुपये से 800 रुपये तक बढ़ गया है। इसी तरह सजावटी फूलों में आर्किड, डोडी, मोगरा, रजनीगंधा, कारनेशन, जिप्सोफिला, एनथूरियम, करीसिथेमम, डेजी समेत अन्य का भाव दोगुना ही गया है। तीन से छह हजार रुपये जोड़ी जयमाला जयमाला इस बार काफी महंगी है। दो हजार रुपये जोड़ी में मिलने वाली जयमाला गाजीपुर फूल मंडी में तीन हजार रुपये में बन रही है। माला बनाने वाली पुष्पा ने बताया कि गुलाब, डोडी समेत अन्य सामान महंगा हुआ है। उसकी वजह से दाम बढ़ाना पड़ा है। जयमाला बनाने वालों ने बताया कि जितना जड़ाऊ काम माला में ज्यादा होगा, उतना दाम बढ़ जाएगा।
-------
गेंदा की हो रही दुर्गति
फूलों में गेंदा ही मात्र ऐसा है, जिसका भाव गिरा हुआ है। फूल कारोबारियों ने बताया कि इसकी पैदावार मांग की तुलना में ज्यादा है। इस फूल का उपयोग पूजा में ज्यादा होता है, सजावट में जरूरत कम होती है। यही वजह है कि इसका भाव 30 से 50 रुपये किलो है, जो इस सीजन में 80 से 100 रुपये तक पहुंच जाता था। मंडी में हाल यह है कि जो गेंदा बिक नहीं पाता, किसान उसे यूं ही छोड़ कर चले जाते हैं। उनकी लागत नहीं निकल पा रही।
------ इस बार सब ठीक लग रहा है। फूलों की बुकिग काफी हैं। लेकिन आवक कम होने के कारण फूलों का दाम बढ़ा है।
- सहदेव गुप्ता, फूल व्यवसायी
मांग के साथ फूलों काम बढ़ा है। यह चिता का विषय है। ज्यादा महंगाई होने से समारोह आयोजकों और डेकोरेटर का कृत्रिम फूलों की तरफ रुझान बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
- रवि आडवाणी, फूल कारोबारी

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।