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    पांच साल से पेट में बढ़ रहे ट्यूमर को देखकर उड़े होश, सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाई युवती की जान

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 07:15 PM (IST)

    सफदरजंग अस्पताल की टीम ने एक 19 वर्षीय युवती के पेट से 10.1 किलोग्राम का ट्यूमर निकाला। युवती पांच साल से पेट में सूजन से परेशान थी। ट्यूमर पूरे पेट में फैल गया था और आंतरिक अंगों पर दबाव डाल रहा था। सर्जरी के दौरान, डॉक्टरों ने ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटा दिया और अंगों को पुनर्स्थापित किया। स्वस्थ होने के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई।

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    युवती के पेट से 10.1 किलोग्राम का रेट्रोपेरिटोनियल ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सफदरजंग अस्पताल की टीम ने 19 वर्षीय युवती के पेट से 10.1 किलोग्राम का रेट्रोपेरिटोनियल ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। युवती पिछले पांच वर्षों से पेट में सूजन की समस्या से ग्रसित थी।

    ट्यूमर पूरे पेट में फैल गया था। गुर्दा, पेट और आंतरिक अंगों पर दबाव डाल रहा था। कई जगह इलाज कराने के बाद भी उसे विशेष लाभ नहीं मिल रहा था। पिछले सप्ताह भर्ती करने के बाद एक्सप्लोरेटरी लैपरोटाॅमी कर इस बड़े ट्यूमर को निकाला गया। पूरी तरह स्वस्थ होने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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    अस्पताल के मुताबिक ऑपरेशन से पहले की गई इमेजिंग से पता चला कि लगभग 30 गुणा 20 गुणा 20 सेमी आकार का एक विशाल रेट्रोपेरिटोनियल ट्यूमर पूरे ऊपरी पेट में फैल गया था। ट्यूमर प्रमुख वाहिकाओं से सटा हुआ था और महत्वपूर्ण अंगों को विस्थापित कर रहा था।

    सर्जरी के दौरान टीम ने पाया कि ट्यूमर पूरे पेट को भर रहा था और पेट के आंतरिक हिस्सों को दायीं ओर धकेल रहा था। इसके आकार, वजन और महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों से सटा होने के कारण सर्जरी चुनौतीपूर्ण थी।

    ट्यूमर में कई प्रमुख वाहिकाओं से फीडर थे, जिनमें बाएं एड्रेनल और प्लीहा वाहिकाएं शामिल थीं। प्लीहा, गुर्दे, पेट, ग्रहणी, अग्नाशय और आंतों को हटाने के बाद उन्हें सामान्य शारीरिक स्थानों पर पुनर्स्थापित किए गए।

    इसके बाद सर्जरी टीम की डाॅ. शिवानी बी परुथी, डाॅ. अरुण कुमार सिंह, डाॅ. तारिक हमीद व डाॅ. सुषमा की टीम ने ट्यूमर को निकाला, जिसका वजन 10.1 किलोग्राम था।

    सर्जरी में डाॅ. निधि अग्रवाल और डाॅ. विष्णु पंवार के नेतृत्व वाली एनेस्थीसिया टीम, सीटीवीएस संकाय के डाॅ. विशेष, रेडियोलाजी विशेषज्ञ डाॅ. रेणु यादव, डाॅ. कृष्णा भारद्वाज और डाॅ. अनुपमा आदि ने सहयोग किया।

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