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लेडी हार्डिग में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल शुरू

-ओपीडी में मरीजों का इलाज हुआ प्रभावित -अस्पताल का भवन जर्जर होने के विरोध में भूख ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 08:13 PM (IST)
लेडी हार्डिग में रेजिडेंट 
डॉक्टरों की हड़ताल शुरू
लेडी हार्डिग में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल शुरू

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :

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केंद्र सरकार के लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज के सुचेता कृपलानी अस्पताल का भवन जर्जर होने व विस्तार परियोजनाएं लंबित होने के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों व मेडिकल के छात्रों ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। कई रेजिडेंट डॉक्टर भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं। इस वजह से इस मेडिकल कॉलेज के दोनों अस्पतालों (सुचेता कृपलानी और कलावती शरण) में ओपीडी में मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ।

हालांकि ओपीडी में वरिष्ठ डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद थे। उन्होंने मरीजों का इलाज किया, लेकिन रेजिडेंट डॉक्टरों के ड्यूटी पर नहीं होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। हड़ताल के दौरान रेजिडेंट डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित नहीं कीं। इसके अलावा पहले से जिन मरीजों को सर्जरी के लिए समय दिया गया, उनमें से ज्यादातर मरीजों की सर्जरी भी हुई। रेजिडेंट डॉक्टर मेडिकल कॉलेज की विस्तार परियोजना पर जल्द काम शुरू करने की मांग कर रहे हैं। इस मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि यदि मांगे नहीं मानी गई तो शनिवार को प्लान सर्जरी टाली जा सकती हैं।

एसोसिएशन के महासचिव डॉ. ऋषभ कुमार सिंह ने कहा कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने कॉलेज के सुचेता कृपलानी अस्पताल के भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया है। इसके अलावा कॉलेज का भवन भी जर्जर हो चुका है। इस वजह से मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों, कर्मचारियों व मेडिकल के छात्रों की सुरक्षा भी खतरे में है।

कॉलेज प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ बैठकर हड़ताल वापस लेने की अपील की। लेकिन, रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन की तरफ से कहा गया कि मामले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में रखा गया है, लेकिन इस बात से रेजिडेंट डॉक्टर संतुष्ट नहीं हुए। बताया जा रहा है कि रेजिडेंट डॉक्टरों के इस हड़ताल को वरिष्ठ डॉक्टरों का भी नैतिक समर्थन मिल रहा है। दोनों अस्पतालों के ओपीडी में प्रतिदिन कुल 1500-1700 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।


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