दूसरों की पीड़ा खत्म करने की संवेदना जागृत कर रही सेवा भारती
फोटो : 7 डेल 751 जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जब दूसरों की पीड़ा देखते हैं तब मन के अंदर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
जब दूसरों की पीड़ा देखते हैं तब मन के अंदर एक संवेदना जागृत होती है। गरीबी क्या होती है यह वनवासी क्षेत्रों और सेवा बस्तियों में जाकर पता चलती है, उसमें भी महिलाओं का जीवन ज्यादा कष्टकर होता है। इसके प्रति संवेदना जागृत करने का कार्य सेवा भारती की कार्यकर्ता कर रही हैं। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुहास राव हिरेमठ ने कही।
उन्होंने आर्य समाज भवन डोरीवालन में सेवा भारती की शिक्षिकाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। उन्होंने कहा कि पुरुष द्वारा सारी कमाई शराब में खर्च करने से उसे परिवार और आजीविका दोनों देखने पड़ते हैं। लेकिन कोई महिला पुरुषों को अपनी पीड़ा नहीं बताती वह अपनी साथी महिला को ही अपना दु:ख और समस्या बताती है। सेवा बस्तियों की महिलाओं को दैनिक जीवन की आवश्यकताओं से अधिक भूख प्रेम और सम्मान की भी होती है जिसकी पूर्ति सेवा भारती की कार्यकर्ता बहनें कर रही हैं।
राष्ट्रीय सेवा भारती की सह सचिव रेनू पाठक ने बस्ती अध्ययन की भूमिका बताते हुए कहा जेजे क्लस्टर, स्लम बस्तियों में महिलाओं की वास्तविक स्थिति, उनके जीवनयापन का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सेवा भारती ने इन बस्तियों में एक व्यापक सर्वेक्षण किया है। सर्वेक्षण के अनुसार सेवा बस्तियों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति में बहुत अधिक सुधार की आवश्यकता है। सेवा भारती द्वारा इसमें पहल की गई है। बस्तियों में 24 घटे शौचालयों को खुला रखने, पानी के टैंकर, कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए बाल वाटिकाएं, लाइब्रेरी, बालिकाओं को पढने लिए प्रोत्साहन करना, नशा मुक्ति अभियान व रोजगार के कार्यक्रम आरंभ हो गए हैं।

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