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    शिक्षा को डीबीटी योजना से जोड़ने की मांग को लेकर प्रदर्शन

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 07 Apr 2018 10:35 PM (IST)

    फोटो : फोटो 7 अप्रैल डेल 301 से 302 - रामलीला मैदान में जुटे देशभर से आए स्कूल संचालक, शि

    शिक्षा को डीबीटी योजना से जोड़ने की मांग को लेकर प्रदर्शन

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

    शिक्षा को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) योजना से जोड़ने की मांग को लेकर देशभर के स्कूल संचालक, शिक्षक व अभिभावक शनिवार को रामलीला मैदान में जुटे। बजट स्कूलों की अखिल भारतीय संस्था, नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (निसा) के नेतृत्व में आयोजित इस प्रदर्शन में जुटे अभिभावकों व शिक्षकों ने मोदी सरकार से जल्द शिक्षा में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की।

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    निसा ने शिक्षा में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाने, शिक्षा के लिए स्कूल की बजाय छात्रों या अभिभावकों को सीधे धन देने व आरटीई की विसंगतियों को दूर करने के लिए मार्च में शिक्षा बचाओ अभियान शुरू किया था। इस अभियान के समापन के अवसर पर शनिवार को रामलीला मैदान में आयोजित प्रदर्शन व आमसभा में दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत कुल 24 राज्यों के 36 शहरों से शिक्षकों, अभिभावकों व स्कूल संचालकों ने शिरकत की। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून ने बच्चों को शिक्षा देने की बजाय उन्हें शिक्षा से वंचित करने का काम किया है। वर्तमान में देश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। छात्र, अध्यापक, अभिभावक, स्कूल संचालक सभी भय के माहौल में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की बहाली अत्यंत आवश्यक है और हम सभी यहा इसी उद्देश्य के तहत एकत्रित हुए हैं। अभिभावकों का प्रतिनिधित्व करते हुए पैरेंट्स फोरम फॉर स्कूल एजुकेशन के संजय गर्ग ने कहा कि बहुप्रचारित किए गए आरटीई एक्ट-2009 में तमाम खामिया हैं और यह समाज को बाटने का काम कर रहा है। इस कानून ने लाखों छात्रों से गुणवत्ता युक्त शिक्षा के अवसर को छीनने का काम किया है। इसके बचने के लिए शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार करने की आवश्यकता है। जिसके तहत सबसे उपयोगी कदम यही होगा कि शिक्षा को डीबीटी योजना से जोड़ा जाए। जिससे शिक्षा के लिए स्कूलों को दिया जाने वाला धन सीधे अभिभावकों या बच्चों को मिलने लगेगा। इससे अभिभावक अपने बच्चों के लिए मनपंसद स्कूल का चुनाव कर सकेंगे।