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    SIR की वैधता पर SC में बहस शुरू, कोर्ट ने कहा - चुनाव आयोग को दस्तावेजों की सत्यता जांचने का अधिकार

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 05:30 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट में 'स्टेट इलेक्शन कमीशन' (SIR) की वैधता पर बहस शुरू हो गई है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग को दस्तावेजों की सत्यता जांचने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग केवल एक डाकघर नहीं है, बल्कि उसे दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष हो।

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    सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई SIR की वैधता पर बहस।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की वैधता पर बहस शुरू हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं पर नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी डालने पर सवाल उठाया।

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    इस पर पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग कोई पोस्ट आफिस नहीं है, जो बिना कुछ पूछे फार्म-6 स्वीकार कर ले। आयोग के पास हमेशा दस्तावेज की सत्यता जांचने का वैधानिक अधिकार होता है। सिब्बल ने कहा कि जैसा इस बार हो रहा है, वैसा देश में पहले कभी नहीं हुआ।

    इस पर कोर्ट की टिप्पणी थी कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, यह किसी प्रक्रिया की वैधता तय करने का मानदंड नहीं हो सकता। मामले में बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी। फार्म-6 किसी व्यक्ति को खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने के लिए भरना होता है।

    SIR की वैधता पर SC में कई मामले लंबित

    सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें एसआईआर की वैधता को चुनौती दी गई है। मामले पर प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ सुनवाई कर रही है। बुधवार को पहले केरल का मुद्दा उठा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव होने के आधार पर फिलहाल एसआइआर टालने की मांग की गई है।

    कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए दो दिसंबर की तारीख तय कर दी। फिर तमिलनाडु का मुद्दा उठा, जहां कई याचिकाओं के जरिये एसआइआर को चुनौती दी गई है। इस पर और बंगाल के मामले में भी आयोग को जवाब देने का निर्देश देते हुए नौ दिसंबर की तारीख तय की गई।

    चुनाव आयोग ने केरल, तमिलनाडु और बंगाल में एसआइआर के खिलाफ याचिकाओं पर कहा कि राजनीतिक दल डर पैदा कर रहे हैं। बिहार में एसआइआर हो चुका है, लेकिन एसआइआर की वैधता का मुद्दा अभी बचा है।

     

    आधार कार्ड लाभों के वितरण को नियंत्रित करता है। मान लें कोई पडोसी देश से आता है और मजदूरी आदि करता है। उसे संवैधानिक लोकाचार के तहत राशन आदि प्राप्त करने के लिए आधार दिया जाता है। इसके बाद क्या उसे मतदाता भी बनाया जाना चाहिए? सिर्फ इसलिए कि उसके पास आधार है?

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    जस्टिस सूर्यकांत, सीजेआइ