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    संस्कारशाला: अनेकता में एकता है ¨हद की विशेषता

    यदि हम देश में शाति और सद्भाव को बनाए रखना चाहते हैं तो हमें अपनी विविधता पर गर्व करने औ

    By JagranEdited By: Updated: Fri, 20 Oct 2017 09:31 PM (IST)
    संस्कारशाला: अनेकता में एकता है ¨हद की विशेषता

    प्रिंसिपल का आलेख:

    जिस प्रकार विभिन्न नदियां अलग-अलग रास्तों से आकर समुद्र में मिल जाती हैं, वैसे ही अनेक धर्म, पंरपरा, संस्कृति, समुदाय और मान्यताओं के लोग भारत में समाहित हुए हैं। यह शक्ति हमें विविधता में एकता क ा दर्शन कराती है। एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकता ऊपर से थोपी गई चीज नहीं है। यह हमारे आपसी सहयोग और प्रेम के कारण उत्पन्न हुई एकता है। इस विविधता में ही हमारे लोकतात्रिक मूल्य निहित हैं। यह हमारे लोकतंत्र की सफलता का भी मूल कारण है। इसलिए विविधता का सम्मान हर हाल में जरूरी है।

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    भारत अनेक जाति, समूह, धर्म, भाषा, संस्कृति और परंपरा का समुच्चय है। इसका निर्माण सदियों में हुआ्र है। जितना प्राचीन यह देश है, उतनी ही प्राचीन इसकी विविधता है। आस्तिक-नास्तिक, भौतिक-आध्यात्मिक, वैदिक-अवैदिक, पुरातन-नवीन आदि विविध विचारधाराओं और मूल्यों ने इस देश की रचना की है। सहभागिता, सहअस्तित्व और शाति की भावना हमारे जीवन और संस्कृति का अभिन्न अंग है। इतनी विविधता के बावजूद एक राष्ट्र के रूप में हम आगे बढ़ रहे हैं तो इसका कारण हमारी ये भावना ही है। इसलिए हमें इस विविधता का सम्मान करना चाहिए। इसी विविधता में एकता के कारण भारत को आर्थिक लाभ मिलता है तथा विश्व भर से पर्यटक यहा आते हैं तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। भारतीय होने के कारण हम सब का यह कर्तव्य है कि हम भारत की विविधता को बनाए रखें। इस विविधता के कारण प्रगति तथा खुशहाली के नए आयाम खुलेंगे, जो जीवन तथा भविष्य को सुखमय बनाएंगे, हम ऐसी आशा करते हैं। जब हम इस विविधता का सम्मान करते हैं तो हम अपनी संस्कृति, परंपरा, मूल्यों और अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं।

    मधुमक्खी विभिन्न प्रकार के तथा अलग-अलग रंगों के फूलों से एकत्रित रस से स्वादिष्ट तथा मधुर शहद का निर्माण करती है। उसी प्रकार हम सब मिलकर अनेक विविधताओं को समाहित करके, एक मजबूत भारत का निर्माण करें। विविधता के कारण भारत ने विश्व समाज में एक विशेष दर्जा हासिल किया है। हम सब भारतीयों को भारत की विविधता पर गर्व होना चाहिए तथा हमें उसका सम्मान करना चाहिए। विविधता के सम्मान के बल पर ही हमारी संस्कृति अभी तक अमिट है, जैसा कि महान शायर इकबाल ने लिखा है-

    यूनान, मिस्त्र, रोम सब मिट गए जहां से,

    बाकी मगर है अब तक नामोनिशा हमारा।।

    राकेश कुमार सोरोत

    प्रधानाचार्य

    राजकीय वरिष्ठ बाल विद्यालय शक्ति नगर नंबर 1 दिल्ली

    यदि हम देश में शाति और सद्भाव को बनाए रखना चाहते हैं तो हमें अपनी विविधता पर गर्व करने और उनको बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें दीपावली, ईद, क्रिसमस, महावीर जयंती, गुरू पूर्णिमा जैसे सभी त्योहारों को समान उत्साह के साथ मनाना चाहिए। इसी तरह हमें विभिन्न क्षेत्रीय भाषा में रचित साहित्य सामग्री को भी पढ़ना चाहिए। यह हमें हमारे देश के भाषाई और साहित्यिक विविधता की जानकारी देने के साथ-साथ उस क्षेत्र की संस्कृति और लोक कथाओं से हमें अवगत कराते हैं। हम वास्तव में भाग्यशाली हैं कि हमें अपने देश में हर स्तर पर विविधता देखने को मिलती है जबकि कई देशों में ऐसा नहीं है। हमें आपसी एकता और एक दूसरे के रीतिरिवाजों का सम्मान करना चाहिए, इसी में हमारी भलाई है और इसी में हमारे महान राष्ट्र भारत का उच्चतम हित है।

    महेश चंद्र शर्मा

    शिक्षक

    राउमा बाल विद्यालय

    पदम नगर दिल्ली

    प्रत्येक व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र के अलग-अलग गुण-अवगुण होते हैं। इनसे ही व्यवहार, संस्कृति, परंपरा, व्यवस्था और नीति जैसे तत्वों का निर्माण होता है। अगर सही मायनों में कहा जाए तो यही तत्व ही समाज की विविधता कहलाते हैं। इन विविधताओं का सम्मान आवश्यक है। क्योंकि व्यक्ति से लेकर राष्ट्र की आस्था इन्हीं तत्वों में निहित है। अगर इन तत्वों का सम्मान नहीं किया जाएगा तो राष्ट्र की आस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, और विकास यात्रा अस्थिर हो जाएगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें विविधता का सम्मान करने की आदत को अपनी जीवनचर्या में शामिल करना चाहिए।

    सुधा शर्मा

    शिक्षिका

    अर्वाचीन भारती भवन सेकेंडरी स्कूल

    शाहदरा

    विद्यार्थियों के कोट्स

    हमें सभी के रहन-सहन और धमरें का सम्मान करना चाहिए, लेकिन इसमें यह भी ध्यान रहे, कि हम गलत बातों ,मान्यताओं का समर्थन न करें । समाज में सबके साथ मिलजुलकर काम करना जरूरी है।

    -खुशबू, केंद्रीय विद्यालय, विज्ञान विहार

    विविधताएं ही किसी भी राष्ट्र को परिपूर्ण बनाती है। इसलिए देश के प्रत्येक नागरिकों को चाहिए कि विविधताओं को समझते हुए उनका सम्मान करे, इससे ही राष्ट्र और मनुष्य की प्रगति संभव है।

    दीपांशी कौशिक

    सर्वोदय विद्यालय

    गोकलपुरी

    विविधता से ही व्यक्ति सीखता है और स्वयं में सुधार करता है। असल में विविधता ही जीवन है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें सभी विविधिताओं का सम्मान करना चाहिए और इनके संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।

    अनिकेत

    केंद्रीय विद्यालय

    सादिक नगर