'आप कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं, आपकी कार्यशैली संदेहास्पद है', साकेत कोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी
साकेत कोर्ट ने विकास मावी हत्याकांड में आरोपित की जमानत पर जांच अधिकारी को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस कोर्ट को गुमराह कर रही है। पहले हत्यारोपी ...और पढ़ें

साकेत कोर्ट ने विकास मावी हत्याकांड में की सख्त टिप्पणी।
सुधीर बैसला, दक्षिणी दिल्ली। 'आप कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं, आपकी कार्यशैली संदेहास्पद है।' पहले हत्यारोपी को जमानत दिलवा दी, अब कह रहे हैं कि उसकी जमानत रद्द की जाए। ये क्या तरीका है। यह सख्त टिप्पणी साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) तरुण सहरावत ने विकास मावी हत्याकांड में शामिल एक आरोपित को निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत रद करने संबंधी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
वे कोर्ट में पेश हुए जांच अधिकारी इंस्पेक्टर योगेश को बीते शनिवार को फटकार लगा रहे थे। एएसजे ने जांच अधिकारी को संबंधित थाना क्षेत्र के डीसीपी द्वारा हस्ताक्षरित जवाब लेकर सात जनवरी 2026 को कोर्ट आने के लिए कहा है। साथ आरोपित को भी अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है।
पीड़ित पक्ष की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजपाल कसाना ने बताया कि उनके मुवक्किल दीपक मावी के बड़े भाई विकास उर्फ विक्की मावी की हत्या हो गई थी। दीपक ने गोविंदपुरी थाने में आठ दिसंबर को हत्या व अन्य धाराओं के तहत चार आरोपियों विशाल राय, प्रवीण उर्फ पम्मी, राहुल बिधूड़ी, केशव बिधूड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। इसमें एक आरोपित केशव बिधूड़ी पर पुलिस ने आरोप माना कि उसने घटना के बाद वह सीसीटीवी और डीवीआर नष्ट किया, जिसमें घटना से जुड़े तथ्य कैद थे।
अधिवक्ता ने बताया कि हत्या जैसे संगीन अपराध में गिरफ्तारी के एक सप्ताह के अंदर केशव की जमानत इस आधार पर हो गई कि उसकी संलिप्तता जमानतीय है। उस वक्त जांच अधिकारी इंस्पेक्टर योगेश ने आरोपित पक्ष की तरफ से लगी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया, जबकि उसे कोर्ट को बताना चाहिए था कि मामला जांच के अधीन है, इसीलिए जमानत नहीं देनी चाहिए।
अधिवक्ता ने बताया कि अपने मुवक्किल तरफ से एएसजे तरुण सहरावत की अदालत में केशव बिधूड़ी को दी गई जमानत रद्द करने की याचिका दायर की। उच्च कोर्ट को बताया कि निचली कोर्ट जब जमानत दे रही थी, तब जांच अधिकारी ने कोर्ट से तथ्य छिपाए, जिसके कारण जमानत हो गई।
अब कोर्ट को सबूत दिए हैं कि आरोपित की संलिप्तता वारदात में ऐसी थी कि उसको जमानत नहीं दी जानी चाहिए थी, इसीलिए जमानत रद्द की जाए। इस मामले में सात जनवरी 2026 को अगली सुनवाई होगी। उसी दिन आरोपित केशव बिधूड़ी भी अपना पक्ष रखेंगे, ताकि उनकी जमानत बरकरार रहे।

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