Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नगरीय जीवन के पहले सजग कवि थे भारत भूषण अग्रवाल : अरुण कमल

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 22 Dec 2020 07:39 PM (IST)

    साहित्य अकादमी ने आभासी मंच पर भारत भूषण अग्रवाल व्यक्तित्व और कृतित्व विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। भारत भूषण अग्रवाल की जन्मशतवार्षिकी के उपलक्ष्य में आयोजित इस संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए प्रख्यात कवि अरुण कमल ने कहा कि भारत भूषण अग्रवाल नगरीय जीवन के पहले सजग कवि थे।

    Hero Image
    नगरीय जीवन के पहले सजग कवि थे भारत भूषण अग्रवाल : अरुण कमल

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली:

    साहित्य अकादमी ने आभासी मंच पर 'भारत भूषण अग्रवाल: व्यक्तित्व और कृतित्व' विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। भारत भूषण अग्रवाल की जन्मशतवार्षिकी के उपलक्ष्य में आयोजित इस संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए प्रख्यात कवि अरुण कमल ने कहा कि भारत भूषण अग्रवाल नगरीय जीवन के पहले सजग कवि थे। उन्होंने मध्यवर्गीय जीवन की विडंबनाओं, जटिलताओं को एक नई जीवंत भाषा के साथ प्रस्तुत किया। वे उन कवियों में थे, जिन्होंने कवियों के कठिन जीवन को भी अपनी कविताओं में प्रस्तुत किया। वहीं, भारत भूषण अग्रवाल की पुत्री अंविता अब्बी ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन को ही नहीं अपने परिवार के सभी सदस्यों की भी रचना की। उन्होंने हमेशा धन से ज्यादा साहित्य सृजन को आगे रखा और इसी सर्जना की तलाश में उन्होंने 16 नौकरियां बदलीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सत्र की अध्यक्षता करते हुए हिदी परामर्श मंडल के संयोजक चित्तरंजन मिश्र ने कहा कि भारत भूषण एक सच्चे रचनाकार थे। उन्होंने अपनी कविता में जितने सवाल उठाए हैं वे सभी अपने आप में क्रांतिकारी और साहसिक सवाल हैं। उनकी पूरी कविता कवि के मन की रूढि़यों से ही नहीं बल्कि समाज की सभी रूढि़यों से लड़ती है।

    कथाकार ममता कालिया ने कहा कि उनके चाचा भारत भूषण एक बहुआयामी व्यक्तित्व के थे। उन्होंने स्वयं को ही निर्मित नहीं किया बल्कि अपने परिवार का भी निर्माण किया। वह हास्य कवि नहीं बल्कि व्यंग्य के कवि थे। यह उनकी प्रतिभा ही थी कि उन्होंने अपने सभी समकालीन रचनाकारों और उनकी रचनाओं पर व्यंग्य से भरे तुक्तक लिखे। इस अवसर पर साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव, सविता सिंह, ओम निश्चल, पंकज चतुर्वेदी व शैलेंद्र कुमार शर्मा, अकादमी के संपादक (हिदी) अनुपम तिवारी ने भी अपने आलेख प्रस्तुत किए।