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    सफदरजंग अस्पताल में संविधान का सम्मान, अस्पताल के 13 प्रवेश द्वार महान विभूतियों के नाम समर्पित

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 10:21 PM (IST)

    सफदरजंग अस्पताल ने संविधान के प्रति सम्मान दर्शाते हुए एक अनूठी पहल की है। अस्पताल के 13 प्रवेश द्वारों को महान विभूतियों के नाम समर्पित किया गया है। इस कदम का उद्देश्य संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना और नागरिकों को जागरूक करना है। अस्पताल प्रशासन ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सफदरजंग अस्पताल प्रबंधन ने संविधान दिवस के उपलक्ष्य पर अस्पताल के 13 मुख्य प्रवेश द्वार का नामकरण उन महान व्यक्तित्वों महात्मा गांधी, डाॅ. बीआर आंबेडकर, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद, डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम, सरोजिनी नायडू सहित देश के उन व्यक्तित्व के नाम पर किया, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, संविधान निर्माण और राष्ट्र-निर्माण में अमिट योगदान दिया था। अस्पताल के निदेशक डाॅ. संदीप बंसल ने इसे संविधान की भावना को जीवंत श्रद्धांजलि बताया।

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    संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया

    इस मौके पर संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया गया। डाॅ. संदीप बंसल ने कहा कि अब हर मरीज-परिजन इन महापुरुषों के नाम से सुसज्जित द्वार से होकर गुजरेगा और संवैधानिक मूल्यों की याद ताजा होगी। बताया कि अस्पताल के प्रवेश द्वार डाॅ. एस. राधाकृष्णन, अटल बिहारी वाजपेयी, डाॅ. वीसी राय, भगत सिंह, डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम, मेजर ध्यानचंद, स्वामी विवेकानंद और सरोजिनी नायडू।

    'द्वार नहीं हमारे हृदय में बसे मूल्यों के प्रतीक'

    इस मौके पर आयोजित निदेशक डाॅ. संदीप बंसल ने कहा ये नाम सिर्फ द्वार के नहीं, बल्कि हमारे हृदय में बसे मूल्यों के प्रतीक हैं। अब हर आने-जाने वाला व्यक्ति न्याय, समानता और राष्ट्रसेवा की याद से गुजरेगा। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डाॅ. चारु बंबा ने इसे स्वास्थ्य सेवा में संवैधानिक कर्तव्यों को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

    गौरवशाली इतिहास से जोड़े रखेगा

    सभी विभागों में जागरूकता गतिविधियां आयोजित की गईं। डाॅ. आरपी अरोड़ा ने कहा कि यह आयोजन राष्ट्रीय एकता और जनकल्याण के प्रति अस्पताल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अब से प्रतिदिन हजारों मरीज, तीमारदार और स्टाफ इन महापुरुषों के नाम पर बने प्रवेश द्वार से होकर गुजरेंगे और संविधान के चार स्तंभ न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता की स्मृति ताजा करेंगे। यह छोटा-सा कदम उन्हें गौरवशाली इतिहास से जोड़े रखेगा।

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