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    लाल किले में आस्था, इतिहास और एकता का अद्वितीय संगम, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की भक्ति से गूंज रहा दिल्ली का आकाश

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 03:23 PM (IST)

    दिल्ली के लाल किले में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की स्मृति में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम आस्था, इतिहास और एकता का प्रतीक है। गुरु तेग बहादुर साहिब के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आ रहे हैं। कार्यक्रम में कीर्तन और कथा जैसे सांस्कृतिक आयोजन भी हो रहे हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में आज श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित तीन-दिवसीय भव्य समागम का दूसरा दिन श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक उत्साह के चरम पर दिखाई दे रहा है।

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    सुबह से ही प्रांगण भक्तों की भीगी पलकें, हाथ जोड़े श्रद्धालु और गुरु साहिब के प्रति अटूट श्रद्धा से भरा दिख रहा है। देश-विदेश से आई संगत के कदम लगातार लाल किले की ओर बढ़ रहे हैं, जहां आज के कार्यक्रम विशेष रूप से विविध, आध्यात्मिक और अत्यंत भावुक करने वाले हैं।

    गुरुद्वारा शीशगंज से पावन स्वरूप की परिक्रमा

    दिन का आरंभ उस परंपरा के साथ हुआ जो समागम की आत्मा बन चुकी है। वह है ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री शीशगंज साहिब से गुरु साहिब का पावन स्वरूप पालकी में रखकर लाल किला पंडाल तक लाने की परिक्रमा। अरदास और शब्द-सुमिरन के वातावरण में हजारों श्रद्धालु इस परिक्रमा में सम्मिलित हुए। यही पावन स्वरूप रात को पुनः गुरुद्वारे में स्थापित कर दिया जाएगा।

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    मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति के दर्शन: रकाबगंज साहिब का पावन क्षण

    आज सुबह माननीय उपराष्ट्रपति श्री सी. पी. राधाकृष्णन जी के साथ मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में मत्था टेका। यहां गुरु साहिब के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार हुआ था और इस स्थल पर श्रद्धा व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब का सत्य और मानवता के लिए अद्वितीय बलिदान हर नागरिक को साहस और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

    श्रद्धालुओं का आकर्षण: ऐतिहासिक म्यूजियम और प्रदर्शनी

    लाल किला प्रांगण में स्थापित विशेष म्यूजियम आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख आकर्षण बना हुआ है। यहां गुरु साहिब के जन्म, तपस्या, उनकी यात्राओं और शहादत तक की पूरी इतिहास-गाथा को चित्रों, दस्तावेजों और दुर्लभ संस्मरणों के माध्यम से दर्शाया गया है। लोग सुबह से ही कतारों में खड़े होकर इस प्रेरक इतिहास-यात्रा का दर्शन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त ऑडियो-वीडियो म्यूजियम में शहादत की गाथा को विशेष दृश्य-श्रव्य तकनीक से प्रस्तुत किया गया है, जो आने वालों को गहरे भाव में डूबो देता है।

    24 घंटे लंगर सेवा: मानवता का अनूठा उदाहरण

    संगत के लिए चौबीसों घंटे चल रहा विशाल लंगर आज भी उसी उत्साह, सेवा-भाव और प्रेम से संचालित होता रहा। पूरी व्यवस्था में सेवा स्वयंसेवकों की लगन और समर्पण विशेष रूप से दिखाई दे रहा है।

    आज शाम स्कूलों के बच्चों का कीर्तन

    आज का मुख्य आकर्षण शाम को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से जुड़े सभी 13 स्कूलों के बच्चों द्वारा किया जाने वाला समूह कीर्तन होगा। हजारों श्रद्धालु इन नन्हें रागी बच्चों की आवाज़ में गुरु-वाणी का रस सुनने के लिए उत्सुक हैं। यह कार्यक्रम आध्यात्मिक वातावरण को नई ऊर्जा और मधुरता प्रदान करेगा।

    विशेष लाइट एंड साउंड शो: इतिहास को जीवंत करने वाला अद्भुत प्रदर्शन

    संध्या ढलते ही लाल किला परिसर में आज एक बार फिर आयोजित किया जाएगा विशेष लाइट एंड साउंड शो, जिसमें सिख इतिहास और गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत को भव्य और भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इस शो में आज असाधारण भीड़ की अपेक्षा है, क्योंकि इसकी प्रस्तुति ने पहले दिन ही दर्शकों का हृदय जीत लिया था।

    आज रात: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति

    आज शाम समागम में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के पहुंचने का कार्यक्रम संभावित है। वे गुरु साहिब को नमन करेंगे और संगत को संबोधित भी कर सकते हैं। उनकी उपस्थिति से समागम का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा।

    मुख्यमंत्री की अपील और सरकार की तैयारियां

    मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्लीवासियों से अपील की है कि वे इस ऐतिहासिक आयोजन में शामिल होकर गुरु साहिब के मानवीय संदेशों जैसे धर्मनिरपेक्षता, करुणा, सहिष्णुता और सत्य को अपने जीवन में अपनाएं। सरकार द्वारा बनाए गए अस्थाई ऑडिटोरियम, सुरक्षा, मार्ग-सफाई और लंगर व्यवस्था की तैयारियों में मुख्यमंत्री स्वयं निगरानी कर रही हैं। दिल्ली सरकार ने इस अवसर पर 25 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर गुरु साहिब की शहादत को राष्ट्र के प्रति समर्पित श्रद्धा के रूप में प्रस्तुत किया है।