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    राकेश टिकैत ने किया ट्वीट लिखा देश के किसानों-मजदूरों को वो 28 जनवरी भी याद है, पढ़िए क्या हुआ था उस दिन

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 28 Jan 2022 04:53 PM (IST)

    यूपी पंजाब राजस्थान और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को घेरकर आंदोलन किया था। साल 2021 में 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर मार्च के दौरान जो उपद्रव किया था उससे संगठनों की काफी किरकिरी हुई थी।

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    भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने साल 2021 की घटना को याद किया।

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार एक साल पहले यूपी गेट पर 26 जनवरी 2021 की घटना के वीडियो को शेयर किया। अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट से उन्होंने इस वीडियो को शेयर किया है। वीडियो को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि देश के किसानों-मजदूरों को वो 28 जनवरी भी याद है, और वह रात भी जब अन्नदाता के विश्वास पर गहरा विश्वासघात किया गया था।

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    राकेश टिकैत ने जो वीडियो ट्वीट किया है उसमें 28 जनवरी को वो लोगों को समझाते नजर आ रहे हैं कि कुछ उपद्रवी तत्व आंदोलन खत्म कराना चाहते हैं। आंदोलन को बदनाम कराना चाहते हैं। बीजेपी के नेता धमकी दे रहे हैं। इसी दौरान वो मंच पर मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों को वहां से नीचे उतार देते हैं और समर्थकों से कहते हैं कि इनको जाने का रास्ता दिया जाए। ये चीजें वीडियो में दिख रही हैं।

    मालूम हो कि एक साल से अधिक समय तक यूपी, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को घेरकर आंदोलन किया था। इस आंदोलन के दौरान तमाम तरह की उठापटक देखने को मिली। साल 2021 में 26 जनवरी को किसानों ने दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर मार्च के दौरान जो उपद्रव किया था उससे संगठनों की काफी किरकिरी हुई थी। किसान नेताओं को ऐसा लगने लगा था कि अब सरकार हर तरह के हथकंडे अपनाकर आंदोलन स्थल से किसानों और प्रदर्शनकारियों को भगा देगी। इससे दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान नेता काफी घबरा गए थे।
    केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। पंजाब के किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ टीकरी बार्डर, सिंघु बार्डर और यूपी गेट पर धरना देकर प्रदर्शन कर रहे थे। केंद्र सरकार की किसानों के साथ कई दौर की बातचीत हुई मगर उसका कोई रिजल्ट नहीं निकल सका। किसानों की मांग को देखते हुए सरकार ने कई कदम उठाए मगर कुछ काम नहीं आ सका। आखिर में गुरू पूर्णिमा के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद ही घोषणा कर दी कि तीनों कृषि कानून स्थगित किए जा रहे हैं। उनकी इस घोषणा के बाद एक सप्ताह के बाद किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं से अपने टेंट समेटने शुरू किए। किसानों के आंदोलन के दौरान इन सीमाओं पर रोजगार करने वाले दुकानदारों आदि का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया था। अब धीरे-धीरे उनका कारोबार पटरी पर लौट रहा है।