350वें बलिदान दिवस पर ऐतिहासिक आयोजन: लाल किले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुग्रंथ साहिब को किया नमन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लाल किला मैदान में सिख समागम में भाग लिया। उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब को नमन किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरु तेग बहादुर के बलिदान को याद किया और दिल्ली सरकार द्वारा कई योजनाओं की घोषणा की। एक लाख से अधिक सहज पाठ संपन्न हुए, और संगत ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया। सभी धर्मों के लोगों ने एकता का प्रदर्शन किया।

350वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली के लाल किले में आयोजित हो रहे समागम में सम्मिलित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुग्रंथ साहिब के आगे मत्थ टेका।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु लाल किला मैदान में चल रहे तीन दिवसीय सिख समागम में अंतिम दिन मंगलवार को शामिल हुईं। उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब को मत्था टेका तथा गुरुओं से आर्शीवाद लिया। इस दौरान राष्ट्रपति समेत सभी गणमान्य लोगों ने काफी देर तक ध्यान मग्न होकर कीर्तन का श्रवण किया। उनके साथ केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा व कपिल मिश्रा समेत सिख समाज के गणमान्य लोग तथा बड़ी संख्या में संगत मौजूद रही।
राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह भेंट की
इस मौके पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह भेंट की। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने समागम में आए संगत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि तीन दिनों के इस महा समागम के आयोजन से पूरे देश में खुशी की लहर है। लाखों भक्त इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने गुरु जी के त्याग, बलिदान को याद करते हुए 350वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में समागम के आयोजन को लेकर सरदार मनजिंदर सिंह व कपिल मिश्रा के प्रयासों का विशेष उल्लेख किया।
जहां औरंगजेब ने हमारे गुरु साहिब की शहादत ली
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सभी ने मिलकर इस आयोजन को भव्य, दिव्य बना दिया। जिस गुुरु ने हम सबके लिए शहादत दी। हम उसे मिलकर याद कर पा रहे हैं। यह वहीं, लाल किले की दीवार व आंगन है, जहां औरंगजेब ने हमारे गुरु साहिब की शहादत ली। यहीं, पर लोगों ने औरंगजेब का अत्याचार देखा। वहीं, आज लाखों लोग मिलकर गुरु जी को प्रणाम कर रहे हैं उन्हें याद कर रहे हैं।
गुरु जी को शुकराना कि उन्होंने दिल्ली सरकार को सेवा करने का मौका दिया। मुख्यमंत्री ने तीन दिनों तक लगातार चली संतवाणी और कीर्तन का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पूरे वातावरण में आध्यात्मिकता का अनुपम भाव पैदा हुआ है।
कहा, यह आयोजन कार्यक्रम की शुरुआत
साथ ही सीएम ने गुरु तेग बहादुर जी के स्मरण में दिल्ली में एक वन (जंगल) का नामकरण करने के साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा आने वाले दिनों में कई योजनाओं को शुरू करने की घोषणा की। कहा, यह आयोजन कार्यक्रम की शुरुआत है।
पूरे वर्ष भर दिल्ली सरकार अन्य आयोजनों तथा किताबों के माध्यम से दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से गुरु के मार्गदर्शन, उनकी दी सीख और सद्भावना संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।
खास बात कि मुख्यमंत्री ने खुद तीन दिनों तक इस आयोजन में मौजूद रहीं तथा आयोजन में सुविधा व्यवस्था को अपने स्तर पर निगरानी की। जिसका लोगों पर गहरा प्रभाव देखा गया।
एक लाख से अधिक हुए सहज पाठ
समागम के अंतिम दिन मंगलवार को एक लाख से अधिक सहज पाठों की समूहिक रूप से संपन्न हुई। संगतों द्वारा ये सहज पाठ श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें बलिदान दिवस को समर्पित रखते हुए किए गए थे। इस अवसर पर हुए समागम में तख्त पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह और अतिरिक्त हेड ग्रंथी गुरदियाल सिंह भी विशेष रूप से शामिल हुए। दिल्ली कमेटी प्रबंधन की ओर से सिंह साहिब जी का सम्मान भी किया गया। खास बात कि जुटी संगत ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया।
समागम तो पहले भी हुए, जिसमें सम्मिलित हुआ, लेकिन ऐसा आयोजन पूर्व में नहीं देखा, यह आयोजन अद्भूत है। यहां आकर धर्म और आध्यात्मिकता की अलग ही अनुभूति हो रही है।
-अमरजीत, फतेह नगर
यहां बड़ी संख्या में सभी धर्म के लोग सम्मिलित हुए। यह दिखाता है कि सिख धर्म और हिंदुओं में कितनी एका है। यह बहादुर कौम ही है, जिसके बलिदान से आज हिंदू हैं, अन्यथा इतिहास दूसरा होता। इसे सभी को स्मरण रखना चाहिए।
-ज्ञान सिंह, फरीदाबाद
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