पतंजलि को 72 घंटे का अल्टीमेटम, दिल्ली HC ने कहा- झूठे और भ्रामक विज्ञापन को नहीं दिया जा सकता संरक्षण
दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि को डाबर के च्यवनप्राश विज्ञापन को 72 घंटे में हटाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि भ्रामक विज्ञापन को संवैधानिक संरक्षण नहीं मिल सकता। पतंजलि के विज्ञापन में अन्य निर्माताओं को धोखेबाज बताया गया था, जो अनुमेय सीमा का उल्लंघन है। डाबर इंडिया की याचिका पर यह फैसला आया, जिसमें पतंजलि के विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को प्रतिद्वंद्वी डाबर के उत्पादों को धोखा बताने से जुड़े च्यवनप्राश विज्ञापन को 72 घंटे के भीतर हटाने का पतंजलि आयुर्वेद को निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति तेजस कारिया की पीठ ने कहा कि झूठे, भ्रामक व अनुचित विज्ञापन को संवैधानिक संरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन ने यह संदेश देकर इस रेखा को पार कर लिया कि अन्य सभी निर्माता उपभोक्ताओं को धोखा दे रहे हैं। । अदालत ने कहा कि यदि कोई विज्ञापन अनुमेय सीमा पार कर जाता है तो इसे सुरक्षा नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा कि जो कोई भी आयुर्वेदिक उत्पाद का निर्माण कानून और उसमें वर्णित नियमों का पालन करते हुए करता है, उसे भ्रामक कहकर बदनाम नहीं किया जा सकता। अदालत ने उक्त आदेश पतंजलि आयुर्वेद के अपमानजनक विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग करने वाली डाबर इंडिया की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया।
डाबर इंडिया, पतंजलि द्वारा जारी किए गए 25 सेकंड के विज्ञापन को चुनौती दी थी। इसका शीर्षक था '51 जड़ी-बूटियां। एक सत्य। पतंजलि च्यवनप्राश! पतंजलि के विज्ञापन में, एक महिला अपने बच्चे को च्यवनप्राश खिलाते हुए कहती है, चलो धोखा खाओ। इसके बाद, रामदेव कहते हैं कि अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं।

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