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    पार्ट-टाइम जॉब और निवेश के नाम पर ठगी करने वालों का भंडाफोड़; गुरुग्राम, जयपुर, गाजियाबाद से 9 गिरफ्तारी

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 10:21 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने पार्ट-टाइम नौकरी और निवेश के नाम पर लोगों को ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में गुरुग्राम, जयपुर और गाजियाबाद से 9 लोगो ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के उत्तरी जिले की साइबर सेल थाना पुलिस ने साइबर ठगी करने के लिए साइबर अपराधियों को बैंक खाता उपलब्ध कराने वाले दो अंतरराज्यीय गिरोह के नौ सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इन्हें गुरुग्राम, जयपुर व गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया। ये गिरोह बैंक खाता उपलब्ध कराने के अलावा साइबर अपराधियों के साथ मिलकर निवेश, पार्ट टाइम जाॅब, डिजिटल अरेस्ट और फर्जी अकाउंट के जरिए बड़े पैमाने पर देशभर के लोगों से ठगी करने में भी जुटे हुए थे।

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    सोशल मीडिया से तलाशते थे शिकार

    आरोपित देशभर में लोगों को धोखा देने के लिए लेयर्ड बैंकिंग चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म का इस्तेमाल कर रहे थे। काॅल डिटेल रिकाॅर्ड और आईएमईआई की जांच सहित टेक्निकल जांच से इनकी पहचान की गई। इनके कब्जे से आठ मोबाइल और आठ सिमकार्ड बरामद किए गए।

    अलग-अलग जगहों से की गई गिरफ्तारी

    डीसीपी उत्तरी जिला राजा बांठिया के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपितों में हिमांशु शर्मा, दीप विहार कालोनी, सिरसी रोड, जयपुर, राजस्थान का रहने वाला है और ग्रेजुएट है। एक साल से वह गुरुग्राम में एक काॅल सेंटर में काम कर रहा था।

    अभिजीत लांबा, जयपुर का रहने वाला है और ग्रेजुएशन है। साहिल जोशी, अलवर, राजस्थान का रहने वाला है और ग्रेजुएट है।

    मन्नू, कमलपुर, बुराड़ी, का रहने है। अजय, खारी बावली, अनिकेत, लोनी, गाजियाबाद, गणेश राठी, लोनी, प्रवीन, बेगमपुर व पीयूष, जेजे कालोनी, सरस्वती विहार का रहने वाला है।

    टेलीग्राम चैनल से जुड़ने के लिए एक लिंक दिया

    साइबर सेल थाना पुलिस को नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल के जरिए मलका गंज के रहने वाले सुमन कुमार नाम के एक पीड़ित की शिकायत मिली थी। वह दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर रहे हैं। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें पार्ट-टाइम जाॅब का ऑफर देने वाला वाट्सएप मैसेज मिला। दिलचस्पी दिखाने के बाद उन्हें एक टेलीग्राम चैनल से जुड़ने के लिए एक लिंक दिया गया, जहां उन्हें कुछ काम सौंपे गए। शुरुआती काम पूरे करने पर, उन्हें भरोसा दिलाने के लिए छोटे-छोटे पेमेंट मिले।

    ...तब दर्ज करा दी एफआईआर

    इसके बाद उन्हें धोखेबाजों के निर्देश पर बड़ी रकम वाले काम करने के लिए उकसाया गया। उनके निर्देश पर काम करते हुए, शिकायतकर्ता ने कुल 93 हजार अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किए। जब धोखेबाजों ने और रुपए मांगे, तो शिकायतकर्ता को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है। इस पर उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करा दी।

    रकम एक ही तरह के म्यूल खातों से भेज रहे

    एसीपी विधुशी कौशिक व इंस्पेक्टर मनीष कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर मिली शिकायतों की जांच में टेक्निकल सर्विलांस, बैंक ट्रेल एनालिसिस और डिजिटल फोरेंसिक जांच से पता चला कि अलग-अलग साइबर ठगी मामलों से ठगी गई रकम एक ही तरह के म्यूल बैंक खातों के जरिए भेजी जा रही थी।

    ऐसा ही एक बैंक अकाउंट, जो एसबीआइ बुराड़ी ब्रांच में था, उसमें कई लेयर्स के ज़रिए साइबर-क्राइम की रकम आ रही थी। आगे की जांच में पांच अलग-अलग एनसीआरपी शिकायतों के लिंक मिले, जिससे पता चला कि यह ठगी संगठित और कोऑर्डिनेटेड तरीके से किया जा रहा था।

    डिजिटल फोरेंसिक जांच भी की गई

    इन नतीजों के आधार पर शुरुआती जांच में अकाउंट होल्डर और उसके साथियों का एक संगठित साइबर क्राइम सिंडिकेट के हिस्से के तौर पर ठगी के पैसे लेने, निकालने, लेयरिंग करने और ट्रांसफर करने में सक्रिय होने की पुष्टि हुई। इसके बाद 100 से ज्यादा मोबाइल नंबरों और आइएमइआइ डाटा की जांच और डिटेल में टेक्निकल एनालिसिस किया, साथ ही कई बैंक खातों में पैसे के लेन-देन और डिजिटल फोरेंसिक जांच भी की गई।

    खातों में ट्रांसफर कर रहे थे ठगी की रकम 

    आरोपित की लोकेशन का पता लगाने के लिए अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफार्म से एक्सेस डिटेल्स हासिल की गईं। जिसके बाद सभी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में हिमांशु शर्मा ने बताया कि उसने बैंक खाते खोले थे और हर खाते के बदले सात हजार लेकर अभिजीत लांबा और साहिल जोशी को नेट बैंकिंग आइडी, पासवर्ड, कार्पोरेट आइडी और खातों से जुड़े सिमकार्ड सौंप दिए थे। अभिजीत लांबा और साहिल जोशी ने बताया कि उन्होंने बैंक खाते की डिटेल्स, सिमकार्ड दूसरे साथियों राहुल और आकाश को हर खाते के बदले 25 हजार में दिए थे। इन खातों का इस्तेमाल ठगी की रकम ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा था।

    मनी लांड्रिंग प्रोसेस में मदद की

    मन्नू ने सिंडिकेट के प्राइमरी हैंडलर और आपरेशनल कोआर्डिनेटर के तौर पर काम किया। उसने ठगी की रकम पाने के लिए अपना बैंक अकाउंट दिया और पैसे निकालने और फंड की लेयरिंग को कोआर्डिनेट किया। वह टेलीग्राम-बेस्ड खरीदारों के सीधे संपर्क में रहा और धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन में मदद करने के लिए कमीशन कमाया। अजय, मन्नू का करीबी साथी है, उसने म्यूल बैंक अकाउंट ढूंढने, एटीएम और चेक से पैसे निकालने में मदद की। उसने अकाउंट हासिल करने के लिए बिचौलियों के साथ कोऑर्डिनेट किया और मनी लांड्रिंग प्रोसेस में मदद की।

    ठगी की रकम पाने के लिए अपना बैंक अकाउंट दिया

    अनिकेत ने अलग-अलग लोगों के कई म्यूल बैंक अकाउंट हासिल करके सिंडिकेट की आपरेशनल क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उसने बड़े ट्रांजैक्शन करने के लिए हाई-लिमिट कार्पोरेट बैंक अकाउंट की व्यवस्था करने में भी मदद की। गणेश राठी ने ठगी की रकम पाने के लिए अपना बैंक अकाउंट दिया। उसने अनिकेत को और म्यूल अकाउंट ढूंढने में मदद की और कार्पोरेट अकाउंट हासिल करने से जुड़ी मीटिंग में हिस्सा लिया और अपनी भागीदारी के लिए कमीशन कमाया।

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