अनशन पर बैठे हवलदार मेजर सिंह की भी तबीतय बिगड़ी, अस्पताल जाने से किया इनकार
'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को लेकर पिछले 10 दिन से अनशन पर बैठे पूर्व सैनिक हवलदार मेजर सिंह ने अस्पताल जाने से मना कर दिया। मेजर सिंह की तबियत बिगड़ने पर मंगलवार को उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए जंतर मंतर पर एंबुलेंस बुलाई गई लेकिन वे अस्पताल
नई दिल्ली। 'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को लेकर पिछले 10 दिन से अनशन पर बैठे पूर्व सैनिक हवलदार मेजर सिंह ने अस्पताल जाने से मना कर दिया। मेजर सिंह की तबीयत बिगड़ने पर मंगलवार को उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए जंतर मंतर पर एंबुलेंस बुलाई गई लेकिन वे अस्पताल जाने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने ने कहा 'मैं नहीं जाऊंगा, मैैं नहीं जाऊंगा' जंतर मंतर पर भूख हड़ताल जारी रहेगी।
वहीं पिछले एक सप्ताह से आमरण अनशन पर बैठे कर्नल पुष्पेन्द्र सिंह की सोमवार की रात तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल जाने के दौरान उन्होंने अपनी मांग पर बुलंद आवाज में कहा कि मैं फिर आऊंगा। हालांकि, उनकी जगह पर एक दूसरे पूर्व सैनिक भूख हड़ताल पर बैठे है। इस बीच जंतर मंतर पर वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैनिकों को अन्य लोगों का भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है।
रविवार को केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की बेटी मृणालिनी सिंह के पूर्व सैनिकों के समर्थन में आने के बाद समर्थन में आवाजें उठने लगी हैं। सोमवार को सांसद राजीव चंद्रशेखर, विधायक कमांडो सुरेन्द्र सिंह और गोल्फर ज्योति रंधावा भी जंतर मंतर पहुंचे।
'कीटोन' बढ़ा, अस्पताल पहुंचे कर्नल
डॉक्टरों ने कर्नल पुष्पेन्द्र सिंह की मेडिकल रिपोर्ट में 'कीटोन' के बढ़े हुए स्तर को देखते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला लिया। पूर्व सैनिकों के आंदोलन के चेयरमैन मेजर जनरल सतबीर सिंह के मुताबिक, जांच करने वाले डॉक्टर का कहना है कि उनका कीटोन स्तर बढ़ा हुआ है, इसलिए उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाने की ज़रूरत है।
डॉक्टर के कहने पर कर्नल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक अन्य वरिष्ठ सैनिक हवलदार साहेब सिंह (रिटायर्ड) ने उनकी जगह ली है और आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
जिद पर अड़े कहा 'फिर बैठूंगा'
अस्पताल में भर्ती होने जाने के दौरान कर्नल पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि वह लौटकर आएंगे और अपना अनशन जारी रखेंगे। वहीं, कर्नल की बेटी का कहना है कि सैनिकों में गुस्सा है और सरकार को निश्चित करना चाहिए कि सैनिकों को उनका अधिकार मिले और उनके साथ ऐसा बर्ताव न हो।
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