Food & Recipe News: यहां पर एक प्लेट में मिलता है 2600 किलोमीटर के सफर का स्वाद
Food Recipe News सांस्कृतिक विविधता के ये रंग आप दिल्ली में भले ही न देख पाएं मगर यहां की भोजन संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो दिल्ली के जीटी रोड चले आइए। जितना अनूठा इस रेस्तरां का नाम है उतना ही अनूठापन यहां पर महसूस भी करेंगे।

नई दिल्ली/गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। जीटी रोड दरअसल शेरशाह सूरी द्वारा बनवाई गई 2600 किलोमीटर की वह सड़क है, जो अफगानिस्तान के काबुल से लेकर बांग्लादेश के चित्तगोंग (चटगांव) तक जाती है। इस रोड पर चलते हुए सांस्कृतिक विविधता के कई रंग देखने को मिलते हैं। सांस्कृतिक विविधता के ये रंग आप दिल्ली में भले ही न देख पाएं मगर यहां की भोजन संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो दिल्ली के जीटी रोड चले आइए। जितना अनूठा इस रेस्तरां का नाम है, उतना ही अनूठापन और विविधता यहां के जायकों में महसूस करेंगे। कनाट प्लेस के एम ब्लाक स्थित इस रेस्तरां में केवल स्वाद ही नहीं, इतिहास के कुछ बिखरे पन्नों की झलक भी इसके प्रवेश द्वार से लेकर इंटीरियर, फर्नीचर, बर्तन और दीवारों पर लगी प्रचीन तस्वीरों तक में उतरी हुई है।
एक दौर का अनुभव
यह केवल एक रेस्तरां नहीं है, बल्कि उस दौर का पूरा अनुभव है, जब जीटी रोड बनी थी। एशिया की इस सबसे बड़ी सड़क पर चलते हुए अलग-अलग जायकों की जो खुशबू मिलती है, वही खुशबू सिमट कर इस रेस्तरां की रसोई में आ गई है। उस दौर से लेकर आज तक के भोजन और उन्हें बनाने के तरीकों से प्रभावित होकर रेस्तरां संचालक ने जो मेन्यू बनाया है, उसका आनंद अद्वितीय है। शहरों और कस्बों के विशेष भोजन, वहां के मसाले और पाक कला की विशेष शैली की मौलिकता को बरकरार रखा गया है।
रेस्तरां संचालक राजन सेठी कहते हैं कि 2600 किलोमीटर के सफर का स्वाद एक प्लेट में लाने का काम काफी चुनौतीपूर्ण था। इसमें सालों लग गए। इस रास्ते पर सफर करते हुए लोगों से मिलना, वहां की भौगोलिक स्थितियों को समझना, मसालों, वास्तुकला, प्राचीन चीजों और कलाओं का आकर्षण ही था जिन्होंने रेस्तरां के निर्माण के लिए प्रेरित किया।
ऐतिहासिक महत्व और भौगोलिक विशेषता
शेफ नरेश कोटवाल के मुताबिक यहां के शेफ्स ने खास तौर से इस रास्ते का सफर तय किया। इस दौरन विभिन्न स्थानों के भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व को देखते और पाक संस्कृति को समझते हुए मेन्यू तैयार किया है। लाहौर का चरघा चिकन विंग्स, पेशावर का सुनहरी चपली कबाब, काबुल का अफगानिस्तानी सलाद, चित्तगोंग का सरसों मछली टुकड़ा, अमृतसर का रस मिस्सा साग पनीर जैसी कई डिशेज हैं जो जीटी रोड से गुजरने वाले स्थानों से ली गई हैं। प्राचीन महत्व और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां पर स्टाइलिश क्राकरी में नहीं, बल्कि पारंपरिक कांसे की प्लेटों में भोजन परोसा जाता है।
शाही डिनर का एहसास
काबुल, पेशावर, लाहौर, अमृतसर, लुधियाना, आगरा, दिल्ली, कानपुर, प्रयागराज, बनारस, हावड़ा और चित्तगोंग की प्रसिद्ध डिशेज में आठ घंटे तक मैरिनेट करके बनाया गया स्मोकी फ्लेवर वाला चिकन बुर्रा कबाब, मिट्टी के तंदूर में पका टमाटर की ग्रेवी और खड़े मसालों की खुशबू से युक्त मुर्ग मक्खनवाला, शाही लोगों द्वारा सुबह की प्रार्थना में खाया जाने वाला नल्ली निहारी, मुगलई रसोई से आया केसर, इलायची और गुलाब जल की खुशबू में लिपटा काजू, पिस्ता, बादाम के अलावा चांदी और सोने के वर्क से सुसज्जित क्रीमी शाही टुकड़ा प्लेट में आने से पहले ही मुंह में पानी ला देता है। इसके अलावा पालक पत्ता चाट, अनानास खट्टा-मीठा, जलेबी रबड़ी, शाही टुकड़ा सब शाही डिनर का एहसास देता है।
अनूठा है खिलाने का अंदाज
टेबल पर पहुंचते ही सबसे पहले स्वागत डिंक पेश होगी। शीतलता का अनुभव लेने के बाद अब तैयार हो जाइए एक के बाद एक स्टार्टर की जायकेदार सुनामी में बह जाने के लिए। आपकी टेबल पर ही लाइव तंदूर की सेटिंग है। वहीं पर गरमा गरम तंदूरी डिशेज से ही पेट भर जाता है। सूफी संगीत की मद्धम धुनों के बीच शु666रू होता है बुफे डिनर का दौर। इसमें मूंग दाल की विशेष डिश से लेकर मशरूम और पनीर तक के व्यंजनों का स्वाद मिलेगा। फिर आती है मीठे की बारी। खीर से लेकर ब्राउनी और रसभरी से लेकर गरमा गरम जलेबी, रबड़ी तक की मिठास दिल दिमाग को भी स्वाद के जादू में सराबोर कर देती है। अभी कहां चल दिए, जाते-जाते दरवाजे से जरा पान, गुलकंद या फिर केसर पिस्ता कुल्फी का स्वाद भी तो लेते जाइए। अंत में जीटी रोड के इस स्वादिष्ट सफर को तय करके बाहर निकलने पर एक बार इस जगह की खूबसूरती और इसके अनूठे इंटीरियर को मुड़कर जरूर देखें।
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