बाराखंभा रोड और ये बाजार
ये जो दिल्ली है धर्मेद्र सिंह, नई दिल्ली राजधानी में मेट्रो के ज्यादातर स्टेशन बहुत शानदार बने हैं।
ये जो दिल्ली है
धर्मेद्र सिंह, नई दिल्ली
राजधानी में मेट्रो के ज्यादातर स्टेशन बहुत शानदार बने हुए हैं, मगर राजीव चौक के करीब स्थित बाराखंभा रोड की बात कुछ और ही है। इसका विस्तृत क्षेत्र इसको औरों से अलग करता है। यदि आप पहली बार यहा आए हैं तो शायद आपको इससे बाहर निकलना कुछ मुश्किल हो जाए। मोहम्मद आरिफ भी दो बार एस्कलेटर पर चढे़ और लंबे गलियारे का रास्ता तय कर गेट नंबर चार से बाहर निकले। अलबत्ता, मेट्रो के बाहर बाराखंभा रोड की खुली हवा में सास लेकर उन्होंने अपनी नजरें घुमाईं तो उनकी आखें चौंधिया गईं। कुछ पल को उन्हें लगा कि वह एक नई दुनिया में आ गए हैं। उनकी नजर एक जगह टिकने को राजी ही नहीं थी।
ऊंची-ऊंची और चमचमा रहीं बिल्डिंग अपनी ओर आकर्षित कर रहीं थीं। सड़क पर जितनी गाड़ियां दौड़ रहीं, उससे कहीं अधिक दफ्तरों के बाहर खड़ी थीं। गाड़ियां भी ऐसी कि मन छूने को दिल मचल जाए। सड़क पार करने को कुछ लोग बेकरार हैं, मगर वाहन हैं कि थमने का नाम ही नहीं ले रहे। इसी बीच कान में इयर फोन लगाए अपनी ही धुन में मस्त एक युवा के कंधे पर एक बुजुर्ग ने हाथ रख पूछा, 'बेटा। नवरंग बिल्डिंग का रास्ता किधर से है?'। युवक ने इयर फोन कान से निकाला और बोला, 'क्या कह रहे हैं आप?'। बुजुर्ग ने अपना सवाल दोहराया तो युवक ने बड़े ही सहज भाव से कहा, ' बाबा। रोड क्रास करो और वह सामने बिल्डिंग, जिसमें एटीएम लगा है। हां। हां। वही। उसके पास से जो रास्ता जा रहा है, वहां से जाओ।
बुजुर्ग दंपती ने एक-दूसरे का हाथ थामा और सीधा हाथ वाहन चालकों को दिखते हुए सड़क पार करने की नाकाम कोशिश की। जब कार तेज आवाज के साथ रुकी तो एक पल के लिए लगा कि एक्सीडेंट हो गया। खैर, वे किसी तरह सड़क पार कर गए। नवरंग बिल्डिंग की ओर जाने के लिए कदम बढ़ाये तो न टूटने वाली लोगों की लाइन ने उनका ध्यान आकर्षित किया। अरे। ये क्या? इस इलाके में ऐसा भी है। सरपट दौड़ते वाहन और आलीशान इलाके में ऐसा बाजार भी सजता है। अरे, यहां तो स्ट्रीट फूड भी है? बेज बिरयानी, चाइनीज फूड और अंडे की दुकान के साथ ही फ्रूट चाट की दुकान पर भीड़ लगी है। सड़क किनारे लाइन से बैठे फल वाले हर आने-जाने वाले को उम्मीद भरी नजरों से देखते। बुजुर्ग दंपती की नजर उन पर पड़ी तो वे भी वहां रुक गए। मोल-भाव किया और कुछ फल ले लिए।
जल्द दफ्तर पहुंचने के लिए लोग बिना किसी से बातचीत किए अपनी ही धुन में चले जा रहे थे। हा, यहा एक बात, जो गौर करने वाली थी, वह यह कि महिलाएं, पुरुषों से मुकाबला ही करती नहीं बल्कि उनसे आगे दिखीं। दस मिनट के पैदल सफर के दौरान लाइन से जा रहे, जितने भी लोग दिखे, उसमें लड़कियों और महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं ज्यादा थी। हा, उनका पहनावा भी बाराखंभा की तरह लुभावना और उनकी सलीका आकर्षित करने वाला था।
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