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    दिल्ली में रिकॉर्ड बारिश से यमुना का पानी हो गया साफ, बाढ़ के साथ बह गई गंदगी; इस बार स्थिति बेहतर

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 07:21 AM (IST)

    इस बार मानसून में रिकॉर्ड बारिश के चलते यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है। दिल्ली के अधिकांश इलाकों में पानी साफ हो गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार आईटीओ बैराज के पास भी पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है जहाँ फेकल कोलीफार्म का स्तर काफी कम हो गया है।

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    दिल्ली में रिकॉर्ड बारिश से धुल गया यमुना का प्रदूषण।

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। इस बार मानसून में रिकॉर्ड वर्षा हुई। इसका असर यमुना पर भी दिख रहा है। बाढ़ के साथ इसकी गंदगी भी बह गई। यही कारण है कि दिल्ली में अधिकांश स्थानों पर यमुना का पानी साफ है।

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    प्रत्येक वर्ष मानसून में यमुना में प्रदूषण कम होता है, लेकिन इस बार स्थिति अधिक बेहतर है। अगस्त, 2023 में जब दिल्ली में कई दिनों तक बाढ़ की स्थिति रही थी उस समय भी नदी का प्रदूषण इतना कम नहीं हुआ था।

    विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद फरवरी से ही यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया था। नदी में गिरने वाले नालों की सफाई के साथ ही सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के उन्नयन का काम चल रहा है। इसके बावजूद दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में यमुना में प्रदूषण काफी बढ़ गया था।

    सबसे खराब स्थिति आइटीओ बैराज के पास थी। मल-मूत्र से होने वाले प्रदूषण (फेकल कोलीफार्म) की मात्रा यहां रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई थी। अगस्त में स्थिति कुछ सुधरी थी। अब सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार आइटीओ सहित अन्य स्थानों पर पानी पहले से बहुत साफ है।

    पानी में फेकल कोलीफार्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर 500 सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) होना चाहिए। इसका स्तर 2500 एमपीएन पहुंचने पर यह उपयोग लायक नहीं रह जाता है। जुलाई में आइटीओ बैराज के पास यह 92 लाख पहुंच गया था।

    इस माह यह कम होकर 1800 रह गया है। फेकल कोलीफार्म के साथ ही जैव रसायन आक्सीजन मांग (बीओडी) और घुलनशील आक्सीजन (डीओ) में भी सुधार है। स्वच्छ पानी में बीओडी तीन मिलीग्राम (एमजी) प्रति लीटर या इससे कम और डीओ पांच एमजी प्रति लीटर या इससे अधिक होना चाहिए। पल्ला में बीओडी तीन से कम और वजीराबाद में 3.5 एमजी प्रति लीटर है। ओखला (13 एमजी प्रति लीटर) को छोड़कर अन्य स्थानों पर यह 10 से कम है। जुलाई में आइटीओ पर यह 70 एमजी प्रति लीटर तक पहुंच गया था।

    इसी तरह से अधिकांश स्थानों पर डीओ मानक के अनुरूप मिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि आइटीओ बैराज के सभी गेट खुलने और कई स्थानों पर गाद निकालने से पिछले वर्षों की तुलना में नदी का बहाव ठीक रहा है। इससे प्रदूषण कम हुआ है।

    डीपीसीसी की सितंबर माह का रिपोर्ट

    स्थान बीओडी (एमजी प्रति लीटर) डीओ (एमजी प्रति लीटर) फेकल कोलीफॉर्म (एमपीएन प्रति एमएल)
    पल्ला 2.5 9.5 790
    वजीराबाद 3.5 5.9 1300
    आइएसबीटी पुल 8 4.2 2800
    आइटीओ पुल 4 5.1 1800
    ओखला बैराज 13.5 3.7 3500
    आगरा नहर (ओखला बैराज के पास) 6.5 4.3 2100