यमुना से गाद हटाने के लिए एनजीटी से इजाजत मांगेगा जल बोर्ड, दिल्ली सरकार ने जताई चिंता
यमुना नदी में अतिक्रमण और गाद के कारण जल धारण क्षमता आधी रह गई है जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। 1978 में 8 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर जलस्तर 207.49 मीटर था जबकि 2023 में कम पानी छोड़ने पर भी जलस्तर अधिक रहा। दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की समितियों ने चिंता जताई है लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। अतिक्रमण और गाद की समस्या के कारण यमुना की जल धारण क्षमता 50 फीसदी कम हो गई है। यही कारण है कि मानसून के दिनों में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर रिहायशी इलाके तक पहुंच जाता है। जुलाई, 2023 में दिल्ली में आई बाढ़ का यह एक बड़ा कारण था। उस समय भी इसकी सफाई का मुद्दा उठा था।
इस महीने भी पानी यमुना खादर के साथ सिविल लाइंस तक पहुंच गया था। इसके चलते एक बार फिर नदी से गाद हटाने का मुद्दा उठ रहा है। जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि नदी की खुदाई के लिए एनजीटी से अनुमति ली जाएगी।
सितंबर, 1978 में हथिनी कुंड से आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। दिल्ली में लोहा पुल के पास यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया था। वहीं, जुलाई 2023 में मात्र 3.59 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से जलस्तर 208.66 मीटर पहुँच गया था और इस बार 3.29 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से जलस्तर 204.88 मीटर पहुँच गया।
इससे स्पष्ट है कि यमुना की जलधारण क्षमता 1978 की तुलना में मात्र 50 प्रतिशत ही रह गई है। इसका मुख्य कारण नदी के बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण और निर्माण तथा तलहटी में गाद का जमाव है। दिल्ली सरकार सहित केंद्र सरकार द्वारा गठित समितियों की रिपोर्ट में इस पर चिंता जताई गई है। इसके बाद भी समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
जल बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि आवश्यकतानुसार यमुना की सफाई के लिए योजना तैयार की जा रही है। एनजीटी ने नदियों की खुदाई पर रोक लगा दी है। अनुमति प्राप्त करने के प्रयास किए जाएंगे।
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