Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दो साल से पहले नहीं मिलेगी दिल्ली को यमुना प्रदूषण से मुक्ति, अभी महज नौ नालों का पानी हो पा रहा है ट्रीट

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 10:48 PM (IST)

    दिल्ली में यमुना नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित है जिसका कारण 22 बड़े नाले हैं। इनमें से सिर्फ 9 नालों का पानी एसटीपी में शोधित होता है। सरकार ने समस्या के समाधान के लिए कार्य योजना बनाई है जिसे पूरा होने में दो साल लगेंगे। छोटे नालों को ट्रैप कर शोधित करने की योजना है और दिसंबर 2027 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य है।

    Hero Image
    नई दिल्ली-वजीराबाद के पास यमुना में गिरता नाले का पानी। फोटो: ध्रुव कुमार

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्लीः दिल्ली में यमुना पल्ला से असगरपुर के बीच मात्र 48 किलोमीटर बहती है, लेकिन यहां सबसे अधिक प्रदूषण होता है।

    इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली के 22 बड़े नाले हैं। इन नालों से शहर की गंदगी और औद्योगिक अपशिष्ट यमुना में गिर रहा है।

    इनमें से मात्र नौ नालों का पानी सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) में लाकर शोधित किया जाता है। अन्य का दूषित पानी सीधे नदी में गिर रहा है।

    इसके समाधान के लिए सरकार ने कार्य योजना तैयारी की है, जिसके पूरा होने में दो वर्ष से अधिक का समय लगेगा।

    22 किलोमीटर के हिस्से में गिर रहे 22 बड़े नाले

    यमुना में गिरने वाले नालों के पानी को ट्रैप कर शोधित करना बड़ी चुनौती है। वजीराबाद से ओखला के बीच लगभग 22 किलोमीटर के हिस्से में लगभग 22 बड़े नाले नदी में मिल रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इनमें सबसे बड़ी नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन है। अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी रूप से इन्हें पूरी तरह से ट्रैप नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसमें गिरने वाले 182 छोटे नालों के पानी को शोधित करना होगा।

    26 छोटे नालों को एसटीपी तक लाने की है योजना

    इन छोटे नालों में से 26 को ट्रैप कर एसटीपी तक लाने और शेष को उसके मुहाने पर शोधित करने की योजना तैयार की गई है। दिल्ली गेट और सेन नर्सिंग होम नाले का पानी भी आंशिक रूप से एसटीपी तक पहुंच रहा है।

    भाजपा सरकार का कहना है कि नालों के पानी को एसटीपी तक लाकर उसे शोधित करने के लिए पिछली सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए गए।

    अब तक सिर्फ नौ नालों का पानी ही एसटीपी तक पहुंच रहा है। वहीं, 142 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) सीवेज भी बिना शोधित किए नदी में जा रहा है।

    सिर्फ 27 एसटीपी का ही हो सका अपग्रेडेशन

    चालू 37 एसटीपी में से अधिकांश अपनी क्षमता व मानदंड के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं। इस कारण एनजीटी ने वर्ष 2015 में इनके अपग्रेडेशन का आदेश दिया था।

    अभी तक 27 का ही अपग्रेडेशन हो सका है। पिछली सरकार की लापरवाही के कारण समस्या गंभीर हो गई है। इसके समाधान के लिए कार्ययोजना तैयार कर केंद्र सरकार के सहयोग से काम शुरू किया गया है।

    इसके अंतर्गत बगैर सीवेज नेटवर्क से जुड़े नालों का सर्वे सितंबर तक पूरा करने किया जाएगा। उसके बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी।

    यह प्रयास होगा कि दिसंबर तक काम शुरू कर दो वर्षों में उसे पूरा कर लिया जाए। इस तरह से यमुना में गिरने वाले गंदे पानी को पूरी तरह से रोकने के लिए दिसंबर, 2027 तक का लक्ष्य रखा गया है।

    सीवेज उपचार की स्थिति

    • दिल्ली में उत्पन्न होने वाला कुल सीवेज - 792 एमजीडी
    • 37 एसटीपी की कुल स्थापित शोधन क्षमता - 764 एमजीडी
    • बिना शोधित सीवेज सीधे यमुना में गिर रहा - 142 एमजीडी