दिल्ली में यमुना नदी की दुर्दशा का कारण सिर्फ प्रदूषण नहीं बल्कि कुछ और... रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
दिल्ली में यमुना नदी की दुर्दशा का एक बड़ा कारण पानी का कम बहाव भी है। डीपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार नदी में आवश्यक न्यूनतम प्रवाह का आधा पानी भी नहीं है। प्रदूषण के साथ-साथ कम प्रवाह के कारण जलीय जीवन लगभग नष्ट हो गया है। यमुना को अतिरिक्त पानी मिलने से जल की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में यमुना की खस्ताहालत के लिए प्रदूषण ही नहीं बल्कि पानी का कम बहाव भी एक बड़ा कारण है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की ओर से तैयार रिपोर्ट के मुताबिक, नदी में न्यूनतम प्रवाह के लिए जरूरी पानी का आधा हिस्सा भी नहीं है। अगर प्रवाह निर्बाध हो तो नदी में मौजूद कचरा भी अपने आप छंट जाता है।
यमुना का जलीय जीवन हो चुका नष्ट
दिल्ली के बड़े नालों से सीधे यमुना में गिरने वाले गंदे पानी की वजह से प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि नदी का जलीय जीवन लगभग नष्ट हो चुका है। डीपीसीसी की रिपोर्ट में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की के हवाले से बताया गया है कि हथिनी कुंड बैराज और ओखला बैराज के बीच मई जैसे सूखे महीने में भी पर्यावरणीय प्रवाह 190 एमजीडी रहता है। जबकि नदी के न्यूनतम प्रवाह के लिए जरूरी है कि नदी में कम से कम 437 एमजीडी पानी हो।
सही करने के ये तरीके
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यमुना को 247 एमजीडी पानी और मिल जाए तो बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर 25 से घटकर 12 मिलीग्राम प्रति लीटर रह सकता है।
गौरतलब है कि पानी की गुणवत्ता के लिहाज से बीओडी एक अहम मानक है, जिससे पता चलता है कि पानी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को कितनी ऑक्सीजन की जरूरत है ताकि वे पानी में घुले कार्बनिक पदार्थों को साफ कर सकें।
डीपीसीपी ने अपनी रिपोर्ट में मौजूदा हालात को सुधारने के लिए यमुना पर स्थापित तीन बड़ी परियोजनाओं से पानी मिलने की उम्मीद भी जताई है।
दरअसल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के बीच यमुना जल का बंटवारा 1994 में हुए समझौते पर आधारित है।
अब इसकी समीक्षा करने का समय आ गया है। ऐसे में दिल्ली को उम्मीद है कि रेणुका, लखवार और किशाऊ बांध परियोजना से यमुना नदी में पानी की जरूरत पूरी हो सकती है।
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