दिल्ली में इन लोगों के घरों में लगाए जाएंगे नए बिजली मीटर, विभाग ने काम भी कर दिया शुरू
यमुना में जलस्तर बढ़ने से प्रभावित लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली आपूर्ति बाधित होने से लोगों को परेशानी हो रही है और वे किराए पर कमरे लेने को मजबूर हैं। प्रशासन की मदद न मिलने से लोगों में नाराजगी है और वे खुद ही सफाई में जुटे हैं। स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर भी चिंता बनी हुई है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद नदी किनारे बसे लोग अपनी मेहनत और जज्बे से कीचड़ व गाद हटाने में जुटे हैं, लेकिन प्रशासन की मदद न मिलने से उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। पिछले चार दिनों से सफाई का काम तो चल रहा है, लेकिन बिजली की आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी है। अधिकतर मीटरों में पानी भर गया है, जिससे बिजली लाना जोखिम भरा हो गया है।
बिजली विभाग ने स्थानीय लोगों की समस्या को देखते हुए यमुना बाजार में करीब 300 नए मीटर लगाने का काम शुरू किया है। घाट नंबर 27 पर मीटर लगाने का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन कई घाटों तक कीचड़ और गाद के कारण पहुंचना मुश्किल हो रहा है।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि घरों में सीलन होने के कारण बिजली बहाल होने में लगभग एक सप्ताह का समय लग सकता है। कुछ इलाकों में भारी गंदगी के चलते बिजली आने में एक महीने तक का समय लग सकता है। निगम बोध घाट से सटे क्षेत्रों की स्थिति बेहद खराब है। लोग सफाई में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद स्थानीय विधायक और प्रशासन की तरफ से कोई ठोस मदद नहीं मिली है।
मकान साफ न होने तक स्कूल नहीं छोड़ेंगे
मोरी गेट स्थित एक सरकारी स्कूल में 300 से अधिक लोगों के रहने की व्यवस्था की गई थी। अभी भी कुछ परिवार वहीं रह रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन उनके घाटों की सफाई करवा कर उन्हें घर लौटने की सुविधा दे तभी यहां से अपने घर जाएंगे अन्यथा यहीं रहेंगे। वहीं यमुना बाजार के बाहर लगे टेंट लोगों के लिए कुछ राहत दे रहे थे लेकिन वह भी वहां से प्रशासन के द्वारा पटा दिए गए है। इससे उनकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ गई है।
रात में सोने के लिए मजबूरी में किराए के कमरे
बिजली न होने के कारण लोग रात में सोने के लिए मजबूरी में कमरे किराए पर ले रहे हैं। कई परिवारों ने 200 रुपये प्रतिदिन देकर अपने घरों के पास ही कमरे किराए पर लिए हैं ताकि महिलाएं और बच्चे सुरक्षित रह सकें। बाकी सदस्य घरों की देखरेख के लिए बाहर सोते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से न तो मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है और न ही सफाई में मदद मिल रही है। एमसीडी की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया गया। बाढ़ के बाद की स्थिति स्वास्थ्य, स्वच्छता और रोज़गार पर गहरा प्रभाव डाल रही है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
बिजली न आने से रात भर सही से सो नहीं पाते। मच्छर काटते रहते हैं और बीमारियों का डर सताता है। — खर्चू चौहान
रात में बिना बिजली के चोरी और जान का खतरा बना रहता है। प्रशासन ने एक सरकारी लाइट तक की व्यवस्था नहीं की। — ऊर्मिला
घर में अकेली रहती हूं। जलस्तर कम होने के बाद घर आई तो मिट्टी कंधे तक थी। उम्र काम करने की अनुमति नहीं देती, इसलिए ठेके पर मजदूर बुलाकर अपनी जेब से खर्च कर मिट्टी हटवाई। — कृष्णा
घर में रखा सारा सामान खराब हो गया है। बिजली से चलने वाले उपकरण नष्ट हो गए हैं। कमरे में बदबू फैली है। रात में सोने के लिए कई लोग यहां कमरा किराए पर लेते है जिसका किराया 200 रुपये लगता है। — राहुल
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