दिल्ली में यमुना किनारे छठ पूजा की अनुमति मिलने से पूर्वांचल वासियों में खुशी की लहर, आयोजकों ने किया स्वागत
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की घोषणा के बाद दिल्ली में यमुना किनारे छठ पूजा की अनुमति मिलने से लोगों में खुशी है। पांच साल बाद सूर्य पुत्री का वनवास खत्म होगा। आयोजकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। छठ पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि उनकी समिति ने पहले भी यमुना किनारे पूजा पर रोक का विरोध किया था क्योंकि यह पर्व प्रकृति की पूजा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा इस बार यमुना किनारे घाटों पर पूरे धूमधाम से आस्था का पर्व मनाने की ऐतिहासिक घोषणा ने छठ पूजा आयोजन को हर्षित कर दिया है। पांच वर्ष बाद सूर्य पुत्री से उनका वनवास खत्म होगा। जिसे आयोजक और पूरी आस्था से इस पर्व को करने वाले लोग बेहद खुश हैं और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को आशीर्वाद दे रहे हैं।
छठ पूजा समिति दिल्ली के अध्यक्ष शिवाराम पांडेय को सहसा इस जानकारी पर विश्वास नहीं हुआ। बाद में भरे गले से बोले कि पांच साल से मां यमुना से वनवास खत्म हो रहा है तो इस बार का आयोजन और भव्य होगा। उनकी समिति दिल्ली की पहली समिति है जिसका पंजीयन वर्ष 1980 में हुआ था।
वह कहते हैं कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिससे यमुना प्रदूषित हो। बल्कि यह तो प्रकृति पूजा का पर्व है। इसलिए जब प्रदूषण के नाम नाम पर यमुना नदी किनारे छठ पूजा की आयोजन पर रोक लगा दी गई थी, तब भी उन लोगों ने तीव्र विरोध किया था।
इस बार भी करीब 10 दिन पहले उनकी समिति ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर यमुना किनारे छठ पूजा के अनुमति की मांग की थी। वह कहते हैं कि कृत्रिम घाट पर छठ पर्व मनाने में आस्था और सुरक्षा को लेकर बड़ी चिंता पैदा होती है।
दिल्ली भोजपुरी मैथिली अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष अजीत दुबे निर्णय का स्वागत करते हुए कहते हैं कि एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छठ पर्व को यूनेस्को धरोहर में शामिल करने का प्रयास दूसरे यमुना किनारे छठ पूजा मनाने की अनुमति ऐसा घटनाक्रम है, जो हर पूर्वांचल वासी को भावुक करने वाला है।
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