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    यमुना बाजार में गाद हटाने का काम कछुए की गति से भी धीमा, परेशान निवासियों ने बताई आपबीति

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 01:49 AM (IST)

    यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि से यमुना बाज़ार के दो हज़ार से अधिक निवासी प्रभावित हैं जिससे उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन की ओर से देरी होने पर निवासियों ने स्वयं गाद हटाने का कार्य शुरू किया। धीमी गति से चल रहे सफाई कार्य और मच्छरों के प्रकोप से लोग परेशान हैं। साँप निकलने से दहशत का माहौल है।

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    यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि से यमुना बाजार के दो हजार से अधिक निवासी प्रभावित हैं। फाइल फोटो

    लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से यमुना बाजार के दो हज़ार से ज़्यादा निवासी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है। वे बेघर हो गए हैं और यमुना बाज़ार की सड़कों से गाद हटाने के लिए प्रशासन की ओर से उन्हें तुरंत कोई मदद नहीं मिली। मजबूर होकर, स्थानीय निवासियों ने खुद ही अपने घरों से गाद हटाने और अपने खर्चे पर सड़कें बनाने का बीड़ा उठाया।

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    उनका कहना है कि प्रशासन से बार-बार गाद हटाने की माँग की गई, लेकिन उनकी माँगों को पूरा करने में काफ़ी देरी हुई। अब जाकर, दिल्ली नगर निगम और बाढ़ एवं सिंचाई विभाग के सहयोग से गाद हटाने का काम शुरू हुआ है। फिलहाल, पिछले एक हफ़्ते से सिर्फ़ छह-सात कर्मचारी ही इस काम में लगे हैं। हालाँकि यमुना बाज़ार में 32 घाट हैं, लेकिन अभी सिर्फ घाट नंबर 1 पर ही सफाई हो रही है।

    निवासियों का कहना है कि सफाई का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। अगर इसी गति से काम चलता रहा, तो पूरे इलाके की सफाई में दो महीने से ज़्यादा का समय लग सकता है। स्थानीय लोग सवाल करते हैं कि प्रशासन हमेशा इतनी देरी क्यों करता है।

    गलियों और घाटों में फैली गाद ने बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ा दिया है। बच्चे बुखार, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। कई बच्चे स्कूल जाते समय कीचड़ में गिर जाते हैं, जिससे उनकी यूनिफॉर्म खराब हो जाती है और वे स्कूल जाने से कतराते हैं।

    साँपों के डर से दहशत का माहौल

    यमुना बाज़ार में समस्याएँ यहीं खत्म नहीं होतीं। घाट संख्या 28 पर लगभग पाँच फुट लंबा एक काला साँप दो घरों के आसपास घूम रहा है। इससे आस-पास रहने वाले लोग दहशत में हैं। जिन घरों में साँप देखा गया है, वहाँ रहने वाले लोग रात में सो नहीं पा रहे हैं। आसपास के इलाकों के लोग रात में अपने घरों से बाहर निकलने से भी डर रहे हैं। अगर साँप को पकड़ने की कोशिश की जाती है, तो वह झट से अंदर छिप जाता है। लोगों का कहना है कि साँप के डर से जीना मुश्किल हो गया है।

    लोगों की परेशानी

    बदबू बहुत भयानक है। कीचड़ हटाने और न हटाने में कोई फर्क नहीं है। काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। - गीता देवी

    मच्छरों के कारण बच्चे लगातार बीमार पड़ रहे हैं। एक बच्चा ठीक हो जाता है, तो दूसरा बुखार, उल्टी और दस्त से पीड़ित हो जाता है। - बबीता देवी

    बच्चे स्कूल जाते समय कीचड़ में गिर जाते हैं। ऐसे में वे जाना भी नहीं चाहते। - कमला

    हमने प्रशासन से बार-बार गलियों और घाटों की सफाई की अपील की है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब जब काम शुरू हुआ है, तो यह कछुए की गति से चल रहा है। - राजो देवी