World Environment Day: देश की 46 प्रतिशत नदियां प्रदूषित, यूपी और पंजाब की नदियों में BOD की स्थिति सबसे खराब
देश में कुल 603 नदियां हैं इनमें से 46 प्रतिशत नदियां प्रदूषण की चपेट में हैं। इसमें गंगा-यमुना समेत देश की कई प्रमुख नदियां शामिल हैं। सीएसई द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट आफ एनवायरमेंट (एसओई) रिपोर्ट 2023 में यह सच विस्तार से बयां किया गया है।
संजीव गुप्ता,नई दिल्ली। पढ़ या सुनकर हैरानी भले ही हो, लेकिन नदियां भी अब प्रदूषण मुक्त नहीं हैं। देश में कुल 603 नदियां हैं, इनमें से 46 प्रतिशत नदियां प्रदूषण की चपेट में हैं।
गंगा-यमुना समेत देश की प्रमुख नदियां सर्वाधिक प्रदूषित बनी हुई हैं। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं तो उत्तर प्रदेश और पंजाब ऐसे राज्य हैं जहां पर सबसे अधिक नदी स्थलों में जैविक आक्सीजन मांग (बीओडी) का प्रदूषण घातक बना हुआ है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट आफ एनवायरमेंट (एसओई) रिपोर्ट 2023 में यह सच विस्तार से बयां किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश के 30 राज्यों में कुल 279 नदियां प्रदूषित हैं। यह बात अलग है कि 2018 के मुकाबले 2022 में मामूली सुधार देखा गया है। 2018 में 31 राज्यों में 323 नदियां प्रदूषित थीं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक देश की 279 प्रदूषित नदियों में सर्वाधिक 55 प्रदूषित नदियां महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में 19, बिहार और केरल में 18-18, उत्तर प्रदेश कर्नाटक में 17-17, राजस्थान में 14, गुजरात, मणिपुर और बंगाल में 13-13 नदियां प्रदूषित हैं। दिल्ली में यमुना की हालत किसी से छिपी नहीं है।
BOD की सर्वाधिक खराब स्थिति वाला राज्य उत्तर प्रदेश
रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्यों के प्रदूषित नदी स्थलों पर जैविक आक्सीजन मांग (बीओडी) अपने सामान्य मानक से 10 गुना अधिक तक मौजूद है। एक लीटर में बीओडी की सामान्य मात्रा तीन मिलीग्राम होती है। यदि बीओडी इस मानक से अधिक है तो इसका आशय हुआ कि पानी न सिर्फ प्रदूषित है बल्कि पानी में मौजूद आक्सीजन तत्व में कमी आ रही है और पानी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को भी कार्बनिक पदार्थों को समाप्त करने के लिए अतिरिक्त आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 109 नदी प्रदूषण निगरानी स्थल ऐसे हैं जहां बीओडी सामान्य मानक तीन मिलीग्राम प्रति लीटर की स्वीकार्य सीमा से 10 गुना अधिक 30 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाया गया।
नदियों में बीओडी प्रदूषण के मामले में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश की है, जहां कुल 20 निगरानी स्टेशन केंद्र ऐसे हैं जहां पर बीओडी 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया है।
दूसरे स्थान पर पंजाब है जहां 19 निगरानी स्टेशन केंद्र पर बीओडी 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। गुजरात में 10 और तमिलनाडु में 10 निगरानी केंद्र ऐसे हैं जहां बीओडी स्वीकार्य मानक से 10 गुना तक अधिक है। हरियाणा में नदियों के सात निगरानी केंद्रों और दिल्ली के पांच निगरानी केंद्रों पर पाया गया कि बीओडी 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है।
गंगा सर्वाधिक प्रदूषित
देश में कुल 1920 निगरानी स्थल हैं। इनमें 43 प्रतिशत यानी 817 नदी प्रदूषण निगरानी स्थल ऐसे हैं जिसमें 2019 से 2021 के बीच नदी के पानी की गुणवत्ता नहाने लायक नहीं थी।
रिपोर्ट के मुताबिक देश की कुल 279 प्रदूषित नदियो में गंगा समेत कुल 33 नदियां ऐसी हैं जहां 10 या उससे ज्यादा स्थानों पर बीओडी स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया है।
गंगा में 49 स्थलों पर जबकि यमुना में 35, गोदावरी में 31, घग्गर में 27, गोमती में 20, कावेरी में 15, दामोदर में 12, कृष्णा में 12, भवानी, हिंडन और सतलुज में 11-11 स्थल और मूसी में 10 या उससे अधिक स्थलों पर नदियों में बीओडी स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया है।
क्या है बीओडी
जब कार्बनिक पदार्थ जैसे-मृत पौधे, घास, खाद, सीवेज पानी में मौजूद होते हैं तो बैक्टीरिया इस कचरे को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। जब ऐसा होता है, तो उपलब्ध विघटित आक्सीजन का अधिकांश भाग एरोबिक जीवाणुओं द्वारा ग्रहण किया जाता है, जिसे जैविक आक्सीजन मांग कहा जाता है।