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    शंभू बॉर्डर खुलने से दिल्ली के इन क्षेत्रों की राह हुई आसान, 13 महीने में कितना नुकसान और परेशानी?

    By Rajesh KumarEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sat, 22 Mar 2025 12:29 PM (IST)

    हरियाणा-पंजाब सीमा पर शंभू बॉर्डर पर करीब 13 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के कारण गतिरोध खत्म होने से दिल्ली के उद्योग-धंधों के साथ परिवहन और पर्यटन ने राहत की सांस ली है क्योंकि इससे ये सभी काफी प्रभावित हो रहे थे। खासकर परिवहन और पर्यटन वाहनों को खराब सड़कों पर 100 किलोमीटर से अधिक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी।

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    शंभू बॉर्डर खुलने से दिल्ली परिवहन, पर्यटन और उद्योग व्यवसाय के लिए रास्ता आसान हुआ। जागरण

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। हरियाणा-पंजाब सीमा पर शंभू बॉर्डर पर करीब 13 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के कारण गतिरोध खत्म होने से दिल्ली के उद्योग-धंधों के साथ परिवहन और पर्यटन ने राहत की सांस ली है, क्योंकि इससे ये सभी काफी प्रभावित हो रहे थे।

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    वाहनों को तय करनी पड़ती थी 100 किमी अधिक दूरी 

    खासकर परिवहन और पर्यटन वाहनों को खराब सड़कों पर 100 किलोमीटर से अधिक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी, जिससे न केवल यात्रा की लागत बढ़ती थी, बल्कि समय भी अधिक लगता था।

    इन राज्यों में जाने वाले वाहनों को परेशानी

    शंभू बॉर्डर से पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लोगों और सामान की आवाजाही होती है। इसके बंद होने से लोगों को वैकल्पिक रास्ते अपनाने पड़ रहे हैं। ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर के मुताबिक वैकल्पिक रास्ता एक तरफ करीब 100 किलोमीटर अतिरिक्त था, जिसके लिए कम से कम 10 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च हो रहे थे।

    वहीं, जाने और वापस आने में भी एक दिन अतिरिक्त खर्च हो रहा था। पंजाब और हिमाचल प्रदेश में कई औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनका उत्पाद दिल्ली आता है। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर से फल और ड्राई फ्रूट्स बहुतायत में आते हैं। जबकि, दिल्ली से अनाज, हार्डवेयर, उद्योग में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल और अन्य दिल्ली से प्रभावित राज्यों में जाते हैं।

    रोजाना चलते थे पांच से सात हजार वाहन

    शंभू सीमा के माध्यम से दिल्ली व अन्य प्रभावित राज्यों से आने-जाने वाले वाणिज्यिक वाहनों की संख्या प्रतिदिन पांच से सात हजार होगी।

    यही हाल पर्यटक वाहनों का भी था। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हरीश सभरवाल के अनुसार, बस का किराया 6000-8000 रुपये प्रति ट्रिप पड़ रहा था और एक से डेढ़ दिन का अतिरिक्त समय लग रहा था।

    वाहन मालिकों को हो रहा था भारी नुकसान

    इससे भी बदतर स्थिति यह थी कि वैकल्पिक मार्ग बहुत खराब थे। जिससे वाहन को अधिक नुकसान हो रहा था। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन (फेस्टा) के महासचिव राजेंद्र शर्मा के अनुसार, दिल्ली के थोक बाजारों में बड़ी संख्या में खरीदार पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से हैं, जो सड़क बंद होने के कारण आने से बच रहे थे।

    किसानों का विरोध प्रदर्शन सिर्फ शंभू बॉर्डर पर ही नहीं बल्कि हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले सिंघु बॉर्डर पर भी था। हरियाणा से आने वाली सड़क को सिंगल लेन कर दिया गया था, जिससे काफी ट्रैफिक जाम हो रहा था। उसे भी अब खोला जा रहा है।

    लघु उद्योग भारती दिल्ली के महासचिव मुकेश कुमार के अनुसार हरियाणा से सटे इलाके राई, कुंडली और अन्य में औद्योगिक क्षेत्र हैं। अब जब बॉर्डर खुल रहे हैं तो सभी को फायदा होगा।

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