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    कौन हैं संजय मेहरोत्रा, जिनसे पीएम मोदी ने US में की मुलाकात; दिल्ली के खान मार्केट की चाट से है खास कनेक्शन

    By Jagran NewsEdited By: Pooja Tripathi
    Updated: Sat, 24 Jun 2023 11:54 AM (IST)

    संजय मेहरोत्रा की स्कूल से तीन बजे छुट्टी होती थी उसके बाद सभी दोस्तों के साथ लोधी स्टेट से खान मार्केट जाते थे। वहां पर घर से जो पाकेट मनी मिलती थी उससे गोलगप्पे आलू चाट पापड़ी चाट और दही भल्ले बड़े शौक से खाते थे। छोले भटूरे भी मिलते थे लेकिन उन दिनों संजय को वो पसंद नहीं थे।

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    माइक्रॉन के सीईओ संजय मेहरोत्रा ने वाशिंगटन में पीएम मोदी से मुलाकात की।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वाशिंगटन डीसी में संजय मेहरोत्रा से मुलाकात कर उन्हें भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया है।

    27 जून 1958 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे माइक्रॉन टेक्नोलॉजी के सीईओ संजय मेहरोत्रा तकनीक की दुनिया में एक जाना-माना नाम हैं। 1980 में इंटेल कॉर्पोरेशन के साथ बतौर सीनियर डिजाइन इंजीनियर अपने करियर की शुरुआत करने वाले महरोत्रा का दिल्ली से भी खास नाता रहा है।

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    खान मार्केट से जुड़ी हैं संजय के बचपन की यादें

    उनके स्कूल के दिनों की यादें खान मार्केट, लोधी स्टेट के आसपास बसी हैं। स्कूल में संजय के सहपाठी रहे सिद्धार्थ कालेकर बताते हैं कि उनकी सभी से स्कूल में बहुत अच्छी दोस्ती थी। खान मार्केट की चाट बहुत पसंद थी।

    बचपन में संजय को पसंद नहीं थे छोले-भटूरे

    स्कूल से तीन बजे छुट्टी होती थी, उसके बाद सभी दोस्तों के साथ लोधी स्टेट से खान मार्केट जाते थे। वहां पर घर से जो पाकेट मनी मिलती थी, उससे गोलगप्पे, आलू चाट, पापड़ी चाट और दही भल्ले बड़े शौक से खाते थे। छोले भटूरे भी मिलते थे, लेकिन उन दिनों संजय को वो पसंद नहीं थे।

    यादों को और ताजा करते हुए सिद्धार्थ उत्साहित होकर बताते हैं कि संजय और मुझे फिल्में देखने का भी बहुत शौक था। हम जोरबाग में रहते थे तो छुट्टी के दिनों में संजय डीटीयू बस अब डीटीसी से जोरबाग आते थे और फिर दोनों साथ में वहां से युसुफ सराय स्थित चाणक्य थिएटर में फिल्म देखने जाते थे। वह पहला स्टीरियो साउंड थिएटर था, इसलिए हम दोनों को बहुत पसंद था।

    स्कूल के दिनों में कबड्डी खेलते थे संजय

    सिद्धार्थ बताते हैं कि हमें कबड्डी खेलने का भी शौक था। सिद्धार्थ खुद इस टीम के कैप्टन थे और संजय उनकी टीम में थे। दोनों का बस एक ही लक्ष्य था कि किसी भी तरह बगल वाले मद्रासी स्कूल की टीम को फाइनल राउंड में हराना है।

    नौवीं से लेकर 11वीं तक दोनों ने मिलकर मद्रासी स्कूल की कबड्डी टीम को हराया भी। उन्होंने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए बताया कि उस जमाने में इलेक्ट्रॉनिक्स नहीं था।

    संजय इलेक्ट्रॉनिक्स में दिलचस्पी लेते थे और भारत में इससे संबंधित कुछ था नहीं। ऐसे में वो आगे की पढ़ाई करने विदेश चले गए। उन्होंने दुनिया की सबसे पहली यूएसबी (एसडी वैन) बनाई थी जो कि किसी ने तब सोची भी नहीं थी।

    (यूके में सरकार के आईटी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे सिद्धार्थ कालेकर से रीतिका मिश्रा ने फोन पर बातचीत की)