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    कौन हैं जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जिन्हें एलजी ने दिलाई दिल्ली हाई कोर्ट के नए चीफ जस्टिस की शपथ

    By Abhishek TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 28 Jun 2022 11:56 AM (IST)

    Justice Satish Chandra Sharma न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट का नया मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। उन्हें मंगलवार को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शपथ दिलाई। इससे पहले वह तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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    कौन हैं जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जिन्हें एलजी ने दिलाई दिल्ली हाई कोर्ट के नए चीफ जस्टिस की शपथ

    नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश बनाए गए हैं। उन्हें मंगलवार को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शपथ दिलाई है। यह शपथ समारोह उपराज्यपाल के सचिवालय ‘राज निवास’ में आयोजित किया गया।

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    बता दें कि इससे पहले न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 

    उल्लेखनीय है कि देश के 6 हाई कोर्ट को रविवार को उनका मुख्य न्यायाधीश मिला। इनमें 5 न्यायाधीशों को प्रमोट कर मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है, वहीं तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे सतीश चंद्र शर्मा को स्थानांतरित कर दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया।

    इस शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राज्य के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत, खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन और विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, सांसद, विधायक और अन्य गणमान्य लोगों के अलावा मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त और दिल्ली सरकार व न्यायपालिका के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

    इससे पहले सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में पति द्वारा भेजे गए तलाक-ए-हसन के नोटिस को शून्य और असंवैधानिक घोषित करने की मांग को लेकर एक मुस्लिम महिला द्वारा दायर याचिका पर जवाब मांगा था। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने महिला के पति, पुलिस आयुक्त और डाबरी पुलिस स्टेशन के एसएचओ को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए स्थगित की है।

    इस मामले में महिला ने अपनी याचिका में पति द्वारा दो जून को भेजा गया तलाक-ए-हसन का नोटिस असंवैधानिक, मनमाना, तर्कहीन घोषित करने की मांग की है। महिला का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 व संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के मानव नागरिक अधिकारों के प्रविधान के खिलाफ है।