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    कौन हैं अलका लांबा, जिसे कांग्रेस ने CM आतिशी के खिलाफ मैदान में उतारा; कभी AAP की थीं तेजतर्रार नेता

    Updated: Fri, 03 Jan 2025 09:36 PM (IST)

    कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में कालकाजी सीट से अलका लांबा को उम्मीदवार बनाया है। अलका छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं और एनएसयूआई की राष ...और पढ़ें

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    अलका लांबा छात्र जीवन से ही एक्टिव पॉलिटिक्स में हैं।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को तीसरी लिस्ट जारी की। इसमें पार्टी ने अपनी दिग्गज नेता अलका लांबा को कालकाजी सीट से मैदान में उतारा है। बता दें, अलका लांबा कालकाजी सीट से दिल्ली की सीएम आतिशी को चुनौती देंगी। कांग्रेस ने इससे पहले पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से संदीप दीक्षित को मैदान में उतारा था। 

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    केंद्रीय चुनाव समिति ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अलका लांबा की उम्मीदवारी को मंजूरी दे दी है। इस सीट से आम आदमी पार्टी की नेता और वर्तमान सीएम आतिशी विधायक हैं। आतिशी आगामी चुनाव भी इसी सीट से लड़ रही हैं। इसलिए यह सीट काफी दिलचस्प होने वाली है।

    छात्र जीवन से ही एनएसयूआई से जुड़ीं थी अलका

    अलका लांबा का जन्म 21 सितंबर 1975 को हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी की पढ़ाई पूरी करने वाली अलका लांबा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में शुरू की थी। वह छात्र जीवन में ही एनएसयूआई में शामिल हो गई थीं। उसी के टिकट पर वह 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी चुनी गई थीं। वह एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 

    चांदनी चौक सीट से विधानसभा चुनाव जीती थीं अलका

    साल 2020 के चुनाव में अलका लांबा ने कांग्रेस की टिकट से चांदनी चौक विधानसभा से चुनाव लड़ा था। मगर उस समय उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वो तीसरे पायदान पर रही थीं और पहले पायदान पर रहते हुए आप नेता प्रह्लाद सिंह ने जीत दर्ज की थी। वहीं साल 2015 का चुनाव इन्होंने आम आदमी पार्टी की टिकट से ही लड़ा था और जीत दर्ज की थी। मगर इस बार वो आप की प्रतिद्वंदी बनकर मैदान मे हैं।

    2003 में मदनलाल खुराना को दी थीं चुनौती

    अलका लांबा ने अपना राजनीतिक सफर दिल्ली विवि से छात्र नेता के तौर पर शुरू किया था। उन्होंने साल 2003 में मोतीनगर विधानसभा सीट से भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे मदनलाल खुराना को चुनौती दी थी। हालांकि वो इस चुनाव में हार गई थीं, लेकिन उन्होंने इस चुनाव में काफी सुर्खियां बटोरी थीं। वह 'गो इंडिया फाउंडेशन' नामक एक गैर सरकारी संगठन भी चलाती हैं।

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