'भगदड़ वाले दिन मेरे पास ट्रेन का टिकट था...पर मैं वापस लौट आया', कुंभ में स्नान करने गए पूरे परिवार की दर्दनाक कहानी
15 फरवरी को सभी लोग नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। इस दिन भीड़ अधिक होने के कारण स्टेशन पर भगदड़ मच गई। सभी लोग स्टेशन के अंदर नहीं जा सके। परिवार के सभी लोग बाहर से ही लौट गए। इसके बाद 17 फरवरी यानी सोमवार शाम को रंजीत ने कार बुक कराई और परिवार के साथ दोबारा महाकुंभ जाने की योजना बनाई। मंगलवार सुबह सभी लोग कार से महाकुंभ पहुंचे।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। कहते हैं कि 'मृत्यु की घड़ी को कोई नहीं टाल सकता।' आजादपुर के सब्जी मंडी रोड पर रहने वाले मृतक रंजीत पहले अपने परिवार के साथ महाकुंभ ट्रेन से जा रहे थे। परिवार के पांच सदस्यों का ट्रेन में रिजर्वेशन था।
भीड़ के कारण अंदर नहीं जा सके
15 फरवरी को सभी लोग नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। इस दिन भीड़ अधिक होने के कारण स्टेशन पर भगदड़ मच गई।
इसलिए सभी लोग स्टेशन के अंदर नहीं जा सके। परिवार के सभी लोग बाहर से ही लौट गए। इसके बाद 17 फरवरी यानी सोमवार शाम को रंजीत ने कार बुक कराई और परिवार के साथ दोबारा महाकुंभ जाने की योजना बनाई। मंगलवार सुबह सभी लोग कार से महाकुंभ पहुंचे।
स्नान कर लौटे रहे थे वापस
वहां उन्होंने स्नान कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद मंगलवार शाम 5 बजे वे लोग वापस दिल्ली अपने घर के लिए निकले। बुधवार तड़के 3:50 बजे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर दर्दनाक सड़क हादसा हुआ।
मृतक रंजीत के बेटे दिव्यांशु ने भावुक होते हुए बताया कि रात में जब पिता से फोन पर बात हुई थी तो उन्होंने बताया था कि वह रास्ते में हैं और सभी ने खाना खा लिया है। सुबह तक पहुंच जाएंगे। बुधवार तड़के 3:50 बजे पुलिस का फोन आया तो उन्होंने हादसे की जानकारी दी।
मां, दादी और ड्राइवर इलाजरत
इस सड़क हादसे में दादा कुणाल, पिता रंजीत और ममेरी बहन प्रेमलता की मौत हो गई है। मां रीता देवी, दादी रूपा देवी और ड्राइवर माधव अभी घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
लौटते समय दूसरा ड्राइवर लेकर आया था कार
दिव्यांशु ने बताया कि भगदड़ और भीड़ की खबर सुनकर जब सभी लोग ट्रेन से नहीं जा सके तो हमने किराए पर गाड़ी बुक की ताकि सभी लोग उससे सुरक्षित यात्रा कर सकें। यहां से गाड़ी लेकर गया ड्राइवर वापस नहीं लौटा है। महाकुंभ से लौटते समय ड्राइवर बदल दिया गया था। ऐसा क्यों किया गया, इसकी भी हमें कोई जानकारी नहीं है।
महाकुंभ से लौटने के बाद बिहार जाने की थी योजना
दिव्यांशु ने बताया कि उसके माता-पिता, दादा, दादी और बहन समेत सभी ने महाकुंभ से लौटने के बाद 27 फरवरी को बिहार जाने की योजना बनाई थी। वहां हमारे एक मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसलिए सभी को वहां हवन में भाग लेना था।
लेकिन अब सब बिखर गया है। इससे पहले मैं अपने चाचा के बेटों के साथ महाकुंभ से लौटा था। इसके बाद घरवाले कहने लगे कि हमें भी जाना है।
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