Gurwale News: हिंदू कालेज का आखिर क्या है 'गुड़वाले' से कनेक्शन, इन नामी हस्तियों ने की है पढ़ाई
दिल्ली का पहला कालेज बनाने का सेहरा भी इन्हीं गुड़वालों के नाम सजता है। 1899 में चांदनी चौक के किनारी बाजार में कृष्ण दास गुड़वाले ने हिंदू कालेज की स्थापना की थी। पहले यह वहां किराए के कमरों में चलाया गया था।

नई दिल्ली [प्रियंका दुबे मेहता]। बालीवुड के भारत कुमार कहे जाने वाले मनोज कुमार का दिल्ली से बेहद गहरा रिश्ता रहा है। उनके पिता जी दिल्ली में काफी समय तक रहे और यहां पर उनका अपना आशियाना भी था, जो अब भी है। इसके साथ ही मनोज कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले हिंदू कालेज से पढ़ाई भी की है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कालेज का इतिहास और क्या है इसका 'गुड़वालों' कनेक्शन।
किराए के कमरे में शुरू करवाया पहला कालेज
दिल्ली का पहला कालेज बनाने का सेहरा भी इन्हीं गुड़वालों के नाम सजता है। 1899 में चांदनी चौक के किनारी बाजार में कृष्ण दास गुड़वाले ने हिंदू कालेज की स्थापना की थी। पहले यह वहां किराए के कमरों में चलाया गया था। बाद में 1908 में कालेज को राय बहादुर सुल्तान सिंह द्वारा कश्मीरी गेट पर दान में दिए गए भवन में शिफ्ट किया गया और इसमें हास्टल की सुविधा भी दी गई।
हिंदू कालेज की स्थापना 1899 में कृष्ण दासजी गुड़वाले ने ब्रिटिश राज के खिलाफ राष्ट्रवादी संघर्ष की पृष्ठभूमि में की थी। बताया जाता है कि राय बहादुर अंबा प्रसाद गुरवाले जी सहित कुछ प्रमुख नागरिकों ने भी एक कालेज शुरू करने का फैसला किया था। इसका मकसद गैर-अभिजात्य और गैर-सांप्रदायिक होते हुए भी युवाओं को राष्ट्रवादी शिक्षा प्रदान करना था। शुरुआत में यह पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध था। इसकी वजह यह थी कि उस समय दिल्ली में कोई विश्वविद्यालय नहीं था। बाद में कालेज का विकास होने के बावजूद वर्ष 1902 में एक बड़े संकट का सामना करना पड़ा। पंजाब विश्वविद्यालय ने कालेज को चेतावनी दी कि अगर कालेज को अपना उचित भवन नहीं मिला तो विश्वविद्यालय कालेज को असंबद्ध कर देगा। फिर 1922 में दिल्ली विश्वविद्यालय बना तो रामजस कालेज और सेंट स्टीफंस कालेज के साथ हिंदू कालेज को भी दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिया गया।
इन नामी हस्तियों ने की है पढ़ाई
- बालीवुड निर्देशक इम्तियाज अली (bollywood director Imtiaz Ali)
- केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी (Union Minister Meenakshi Lekhi)
- अभिनेता अर्जुन राम पाल (Actor Arjun Rampal)
- अभिनेता मनोज कुमार (Actor Manoj Kumar)
- क्रिकेटर अजय जडेजा (Ajay Jadeja)
यूं जली क्रांति की मशाल
- मुगल सरदारों के अंग्रेजों से मिल जाने के कारण बहादुर शाह जफर परेशान होकर एक दिन अपनी बैठक में घूम रहे थे उसी वक्त रामदास वहां पहुंचे। उन्होंने सांत्वना देते हुए कहा कि यह वक्त वीरता दिखाने का है। गोवर्धन लाल पुरोहित की पुस्तक ‘स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास’ में जिक्र मिलता है कि उस वक्त बादशाह ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए असमर्थता जताई। ऐसे में राम दास ने उन्हें तीन करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा। बादशाह ने इसी धन से अपनी सेना मजबूत की और क्रांति की तैयारी शुरू कर दी। क्रांति तो विफल रही लेकिन राम दास अंग्रेजों की आंखों में खटकने लगे। बाद में अग्रेजों ने उनके पीछे शिकारी कुत्ते छोड़ दिए और उन्हें चांदनी चौक की कोतवाली के सामने फांसी पर लटका दिया गया था।
- दिल्ली क्लाथ मिल
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