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National Herald Case: जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड विवाद, जिसमें राहुल गांधी से पूछताछ को लेकर मचा हुआ है बवाल

What is National Herald Case नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े एक मामले में राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ जारी है। ईडी की इस पूछताछ को लेकर बवाल मचा हुआ है। आइए जानते हैं आखिर नेशनल हेराल्ड विवाद क्या है।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2022 11:02 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jun 2022 09:55 AM (IST)
National Herald Case: जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड विवाद, जिसमें राहुल गांधी से पूछताछ को लेकर मचा हुआ है बवाल
National Herald Case: जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड विवाद

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कांग्रेस सांसद व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने जिस नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मामले में पूछताछ को लेकर बवाल मचा है उसका कार्यालय बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस के प्रथम तल पर स्थित है।

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इमारत के भूतल पर सामने ही नेशनल हेराल्ड को शुरू करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बड़ी तस्वीर लगी है। नेहरू ने आजादी की लड़ाई को धार देने के लिए लखनऊ में इस अखबार को शुरू किया था। इसलिए इसकी टैग लाइन फ्रीडम इज इन पेरिल, डिफेंड इट विद आल योह माइट रखी गई थी। इसका मतलब है स्वतंत्रता संकट में है, अपनी पूरी ताकत से इसकी रक्षा करें।

इस अखबार में प्रमुख रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू के लेख छपते थे। इस अखबार से अंग्रेज सरकार इतनी भयभीत थी कि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 84 साल पुराने इस अखबार के संपादक इस समय जफर आगा हैं। मौजूदा समय में सात मंजिला इमारत हेराल्ड हाउस के भूतल और प्रथम तल पर पासपोर्ट कार्यालय है।

पासपोर्ट कार्यालय को दोनों तल पर किराए पर जगह दी गई है। इसके अलावा अन्य तल भी किराए पर आवंटित हैं। इसके साथ ही प्रथम तल पर स्थित नेशनल हेराल्ड से के दफ्तर में 15 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। यहीं से साप्ताहिक रूप से प्रत्येक रविवार को आठ पेज के अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड का संपादन होता है। इसकी एक कापी की कीमत 20 रूपये है। आइए नेशनल हेराल्ड की स्थापना से लेकर अब तक के सफर पर एक नजर डालते हैं।

  • 20 नवंबर 1937: एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की स्थापना के साथ इसका कंपनी के रूप में पंजीकरण हुआ।
  • नौ सितंबर 1938: जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड।
  • 1942-1945 तक नेशनल हेराल्ड को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया।
  • 1938 में के. रामा राव इस अखबार के संपादक बनें। उन्होंने 1946 तक इस अखबार का संपादन किया।
  • 1946 के बाद मणिकोंडा चलपति राव इस अखबार के संपादक बने। वे 1978 तक इस अखबार के संपादक रहे।
  • 1978 में जाने-माने पत्रकार खुशवंत सिंह इसके संपादक बने। 1990 से 1982 तक सुभारत भट्टाचार्य ने नेशनल हेराल्ड का संपादकीय दायित्व संभाला।
  • अगस्त 1947 में जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड बोर्ड के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया।
  • 1962-63: दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-ए, बहादुर शाह जफर मार्ग, आइटीओ के पास एजेएल को 0.3365 एकड़ भूमि आवंटित की गई।
  • 10 जनवरी, 1967: प्रिटिंग प्रेस चलाने के लिए भवन निर्माण हेतू भूमि और विकास कार्यालय के द्वारा एजेएल के पक्ष में स्थायी लीज डीड तैयार की गई।
  • 1968 में नेशनल हेराल्ड का दिल्ली संस्करण लांच हुआ।
  • 22 मार्च 2002: मोती लाल वोरा को एजेएल का चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।
  • साल 2008: अखबार के संचालन के दौरान एजेएल को भारी नुकसान हुआ। इसके साथ ही अखबार का संचालन बंद कर दिया गया।
  • नवंबर 2010: यंग इंडिया नाम की एक कंपनी का गठन हुआ। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
  • दिसंबर 2010: एजेएल के ऊपर कांग्रेस के 90 करोड़ रुपये बकाया होने की खबर सामने आई।
  • 29 दिसंबर 2010: रजिस्ट्रार आफ कंपनीज के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार इस तारीख को एजेएल के शेयरधारकों की संख्या 1057 थी।
  • 26 फरवरी 2011: कांग्रेस ने एजेएल की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका अर्थ ये हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया।
  • 2011: यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिए एजेएल को मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान किया था। यंग इंडिया ने इस 50 लाख के बदले कर्ज को माफ कर दिया और एजेएल पर यंग इंडिया नियंत्रण हो गया।
  • एक नवंबर 2012: सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में एक निजी शिकायत दर्ज की। इसमें आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने निजी कंपनी यंग इंडिया के जरिए एजेएल का अधिग्रहण कर धोखाधड़ी और जमीन हथियाने का काम किया है।
  • दो नवंबर 2012: कांग्रेस ने सफाई दी कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार को फिर से चलाने के लिए एजेएल को लोन दिया था।
  • सात जनवरी 2013: भूमि और विकास आफिस ने एजेएल को व्यावसायिक उद्देश्यों के इमारतों को किराये पर देने का अधिकार दिया।
  • 2014: ईडी ने इस केस की जांच शुरू की। ईडी यह पता लगाना चाहती थी कि क्या इस केस में किसी तरह की मनी लॉन्डिंग हुई है या नहीं।
  • 26 जून 2014: अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी को आरोपी के रूप में अदालत में समन किया।
  • 19 दिसंबर 2015: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत दूसरे आरोपियों को पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी।
  • 2016: सुप्रीम कोर्ट ने का कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सभी आरोपितों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी।
  • एक अक्टूबर 2016: नीलाभ मिश्रा को एजेएल के डिजिटल स्वरूप का संपादक नियुक्त किया गया। 14 नवंबर 2016 को नेशनल हेराल्ड की अंग्रेजी की वेबसाइट लांच की गई।
  • पांच अक्टूबर 2016: भूमि एवं विकास आफिस ने एजेएल को नोटिस जारी किया और कहा कि एजेएल की संपत्ति का इस्तेमाल प्रेस के कामों के लिए नहीं किया जा रहा है।
  • अक्टूबर 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने एजेएल को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया।
  • फरवरी 2019: गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
  • एक जून 2022: ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पेश होने का नोटिस भेजा।
  • 13 जून 2022: राहुल गांधी दिल्ली में ईडी दफ्तर में पेश हुए।सोनिया गांधी को भी समन किया गया है लेकिन बीमारी के कारण वो अस्पताल में भर्ती हैं, लिहाजा अभी वो पेश नहीं हुई हैं।

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