किसान आंदोलन : पांच प्वाइंट में समझें, आखिर क्या मांग रहे अन्नदाता
किसानों की बढ़ती चिंता दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक करने उन्हेें ले आई है। एक साल मेें दिल्ली की चौखट पर किसानों की यह चौथी दस्तक है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। अन्नदाता केंद्र की चौखट पर दस्तक देने फिर से आए हैं। पिछली बार की तुलना में इस बार प्रदर्शन शांतिपूर्वक रहा। पिछली बार पुलिस के हाथों फजीहत के बाद किसान अपनी झोली में निराशा लेकर वापस लौट गए थे। इस बार फिर किसानों की बढ़ती चिंता दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक करने उन्हेें ले आई है। एक साल मेें दिल्ली की चौखट पर किसानों की यह चौथी दस्तक है। अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर किस कारण किसानों का आंदोलन इतना व्यापक होता जा रहा है। बिना किसी बड़े बैनर के अगर देश भर के किसान एकजुट हो रहे हैं तो यह निश्चित तौर पर सरकार के लिए चिंता की बात है। अन्नदाता अगर बार-बार केंद्र सरकार के आगे हाथ फैला रहा है तो आखिर यह क्या हैै मांगें ?

ये है किसानों की मांगें
- किसान की पूरी तरह हो कर्ज माफी
- फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजे की मांग
- एमएस स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग
- किसानों को पेंशन देने की मांग
- किसानों के लिए विशेष सत्र की मांग तेज
- 11 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के बीच किसानों के लिए अलग से विशेष सत्र बुलाने की मांग
मोदी सरकार को बताया किसान विरोधी
किसानों के मार्च के दौरान स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि जो पार्टी किसानों का समर्थन नहीं करेगी वो किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन है। किसानों की मुठ्ठी उठाकर काम नहीं चलेगा तो किसान अपनी अंगुली से 2019 में लोकसभा चुनाव में जवाब देंगे। योगेंद्र यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार अब तक की सबसे बड़ी किसान विरोधी सरकार है।
वहीं, सीताराम येचुरी ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कौरव बताया। मार्च में शामिल आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दे पर पहले से ही चिंता करनी चाहिए थी।
सांसद राजू शेट्टी ने कहा- 'मोदी जी, अगर आप किसानों के ख़िलाफ़ जाएंगे तो दिल्ली में राज करने का सपना ही देखेंगे अगली बार। दिल्ली में सरकार उसी की बनेगी जिसको किसान चाहेंगे।'

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