'जम्मू-कश्मीर का खोया 'गौरव' वापस पाने के लिए मिलकर करना होगा काम', वक्ता बोले- भुलाने होंगे आपसी मतभेद
Jammu And Kashmir बैठक में शांति स्थापित करने के उपाय खोजने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करने पर ज़ोर दिया गया। मुख्य आयोजक राकेश सप्रू ने कहा कि राज्य से संबंधित नीतियों का निर्धारण करते समय राज्य के लोगों को विश्वास में लिया जाना आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए लोगों के बीच आपसी समझ विकसित होना ज़रूरी है।

जागरण ऑनलाइन टीम, नई दिल्ली। Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर में शांति क़ायम करने, कश्मीरी पंडितों के पुनर्स्थापन, गन कल्चर ख़त्म करने और कश्मीरियत बचाने जैसे मुद्दों पर दिल्ली में एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि कश्मीरी बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाज के ज़िम्मेदार लोगों को राज्य का खोया गौरव वापस पाने के लिए मिलकर काम करना होगा।
कश्मीर के लोगों को भरोसे में लेना जरूरी
India International Center : बैठक में शांति स्थापित करने के उपाय खोजने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करने पर ज़ोर दिया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य आयोजक राकेश सप्रू ने कहा कि राज्य से संबंधित नीतियों का निर्धारण करते समय राज्य के लोगों को विश्वास में लिया जाना आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए लोगों के बीच आपसी समझ विकसित होना ज़रूरी है और इसके लिए बैठक में उपस्थित जन लोगों के बीच जाएं।
आपसी मतभेद भुलाने पर जोर
वरिष्ठ राजनीतिज्ञ मुज़फ्फर शाह ने इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर की अवाम से आह्वान किया कि अपना भविष्य बेहतर बनाना है तो आपसी मतभेद भुलाने होंगे। लोगों को धर्म और जाति से ऊपर उठकर कश्मीरियत के हित में सोचना होगा क्योंकि विवादों से हम सभी का नुक़सान है।
जस्टिस इक़बाल अंसारी ने कश्मीर की साझा संस्कृति का हवाला देते हुए कहा कि विकास के लिए शांति पहली शर्त है। बैठक में शारदा पीठ, कश्मीर की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, रोज़गार, और सांस्कृतिक मुद्दों पर साझा समझ विकसित करने के अलावा इस बात पर भी सहमति बनी कि राज्य के ज़िम्मेदार लोग अवाम के बीच जाएं और घर-घर जाकर लोगों को अपने साथ जोड़ने की पहल करें।
बैठक में डा सुनील कौल, ज़ैग़म मुर्तज़ा, मंज़ूर अहमद, क़मर आग़ा, ग़ाज़ी ग़ुलाम अहमद, नीलोफर, और रोमेश राज़दान आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
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