Waqf Amendment Bill: दिल्ली में 20 हजार करोड़ की संपत्ति पर वक्फ का दावा, हैरान कर देगी ये रिपोर्ट
लोकसभा में पारित वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) से दिल्ली की 20 हजार करोड़ की वक्फ संपत्तियों पर विवाद गहराया है। 1360 एकड़ में फैली 123 संपत्तियों पर वक्फ का दावा है जबकि गौतमबुद्धनगर में 100 और फरीदाबाद में 300 से अधिक संपत्तियों पर विवाद है। आगे विस्तार जानिए इन सभी संपत्तियों के इतिहास और विवाद के बारे में।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पास हो गया है। राज्यसभा से भी पास होकर अगर यह कानून में तब्दील होता है तो दिल्ली में वक्फ के दावे वाली 20 हजार करोड़ की संपत्तियां भी इसके दायरे में आ जाएंगी।
दिल्ली के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों पर 1,360 एकड़ में फैलीं 123 संपत्तियों पर वक्फ अपना दावा करता है। इतना ही नहीं इससे एनसीआर के शहर भी अछूते नहीं हैं। गौतमबुद्धनगर में वक्फ का दावा 100 से अधिक संपत्तियों पर हैं, जबकि फरीदाबाद में ऐसी संपत्तियों की संख्या करीब 300 है।
दिल्ली की बात करें तो वक्फ का दावा है कि उनकी अधीन जो संपत्तियां हैं, उसमें कहीं भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो रही है। इन संपत्तियों पर मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान ही हैं। वक्फ का यह दावा भी है कि यह संपत्तियां मुगलकाल से उनके पास हैं, हालांकि विरोधी इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
दिल्ली में वक्फ के विवादित कब्जे वाली 123 संपत्तियों का मामला वर्ष 1984 से लंबित है। बताया जाता है कि तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का निर्णय लिया था। हाई कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया था, लेकिन वर्ष 2014 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के कुछ घंटे पहले ही इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को सौंपने का आदेश दिया, जो तुष्टीकरण की दिशा में तत्कालीन संप्रग सरकार का असाधारण निर्णय था।
इस मामले में चुनाव आयोग से शिकायत हुई, जिस पर आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए आदेश को खारिज कर दिया गया। वर्ष 2023 में केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय (एलएनडीओ) ने इन संपत्तियों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की। जिसे दिल्ली वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर में वक्फ बोर्ड ने करीब सौ से अधिक संपत्तियों पर अपना दावा ठोक रखा है। 41 संपत्तियां वक्फ बोर्ड की पंजीकृत हैं, उनमें भी विवाद है। उत्तर प्रदेश स्तर पर बने शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड संपत्तियों पर अपना अलग-अलग दावा करते हैं। कुछ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। विवाद के कारण अभी मुआवजा नहीं उठाया गया है।
मालिकाना हक का मामला कोर्ट में विचाराधीन
वहीं, कई संपत्तियां ऐसी हैं, जो स्थानीय निवासियों ने पाकिस्तान चले गए लोगों से खरीदी थीं। इनमें ज्यादातर निर्माणाधीन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के समीप जेवर, बिलासपुर व दनकौर क्षेत्र में हैं। जमीन की बढ़ती कीमतों के कारण वक्फ बोर्ड ऐसी भूमि (कस्टोडियन की जमीन) पर भी अपना दावा कर रहा है। खरीदारों ने जमीन पर कब्जा नहीं होने दिया है। ज्यादातर जमीन खाली पड़ी हैं। फिलहाल जमीन पर मालिकाना हक का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
इसी तरह, दादरी नगर के आसपास के गांवों की कुछ जमीन पर भी वक्फ बोर्ड अपना दावा किया है। यहां न्यू नोएडा बनने जा रहा है। इस क्षेत्र में भी जमीन बेशकीमती हो गई है। वक्फ बोर्ड की 7.37 एकड़ जमीन पंजीकृत है। बाकी का पंजीकरण नहीं हुआ है। शिया वक्फ बोर्ड ने 15 संपत्ति और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 26 संपत्ति पंजीकृत हुई है।
मस्जिद भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी
दादरी नगर पालिका क्षेत्र के समीप पर आमका रोड पर ईदगाह बनी है। मिहिर भोज कालेज के सामने एक मदरसा, कब्रिस्तान, मस्जिद भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है। दादरी में लोगों ने वक्फ बोर्ड की काफी जमीन पर दुकानें बनाकर कब्जा कर लिया है। इसी तरह, औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में एनआइटी, सोहना रोड, ओल्ड फरीदाबाद तथा बल्लभगढ़ में 300 से अधिक संपत्तियां हैं।
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ओल्ड फरीदाबाद बाजार में बड़ी संख्या में दुकानें बनी हुई हैं। यहां के दुकानदार पहले वक्फ बोर्ड को किराया देते थे, मगर अब कई महीनों से वक्फ बोर्ड उनसे किराया वसूल नहीं कर पा रहा है। कई जगह वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण भी है।
दिल्ली में इन स्थानों पर वक्फ संपत्तियों पर करता है अपना दावा
राष्ट्रपति भवन और संसद मार्ग के पास, कनाट प्लेस, मथुरा रोड, करोलबाग, पुरानी दिल्ली, जंगपुरा, निजामुद्दीन, सदर बाजार, पहाड़गंज, तिमारपुर, मोती लाल नेहरू मार्ग, काका नगर, लाजपत नगर, वजीराबाद और उद्योग भवन जैसे स्थानों पर वक्फ अपनी संपत्तियां होने का दावा करता है।
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