वक्फ कानून में संशोधन वक्त की जरूरत, आम मुसलमान व महिलाओं के लिए संबल: कौसर जहां
वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा और भ्रष्टाचार को रोकेगा। इससे आम मुसलमानों और महिलाओं को लाभ होगा। दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने इसे वक्त की जरूरत बताया है और इस पर उइन्होंने कहा है कि इससे कौम का नुकसान नहीं बल्कि फायदा होगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संसद में जिन विधेयकों पर सबसे लंबी चर्चा चली, उनमें से एक है वक्फ संशोधन बिल। इसके जरिये वक्फ कानून में अहम संशोधन किए गए हैं। दोनों सदनों में यह पारित भी हो गया, लेकिन संशोधन से असंतुष्ट मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कह रहा है।
वहीं, दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने इसे वक्त की जरूरत बताते हुए आम मुसलमान और महिलाओं का संबल बताया। उन्होंने विरोध करने वाले सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य को बहस के लिए खुली चुनौती दी। मुस्लिम समुदायों में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने और तीन तलाक जैसी कुरीतियों के खिलाफ वह लगातार आवाज उठाती रही हैं।
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक और अनुच्छेद 370 का समर्थन भी किया था। सामाजिक अभियानों से जुड़कर उन्होंने वंचित समाज की बेहतरी के लिए उल्लेखनीय कार्य किया। लंबे अर्से तक भाजपा महिला मोर्चा व अल्पसंख्यक मोर्चा में भी सक्रिय रहीं। दैनिक जागरण के दिल्ली ब्यूरो में उप मुख्य संवाददाता नेमिष हेमंत ने उनसे विस्तार से बातचीत कीः प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंशः
प्रश्नः वक्फ बिल संसद में पारित हो गया है, इसका कितना असर होगा? आप इसे किस रूप में देखती हैं?
जवाबः लोकतंत्र में संसद सर्वोच्च है। संसद जनता की आवाज होती है। देश का कोई भी कानून संसद की अनुमति प्राप्त करता है, यानी वह जनता का कानून है। यह ऐतिहासिक है और मैं कहूंगी कि कौम के हित में मोदी सरकार द्वारा स्थापित मील का पत्थर है। इसका बहुत फायदा होने वाला है। आने वाले दिनों में उन लोगों को भी अहसास होगा, जो इसका विरोध कर रहे थे। मोदी जी को देश के करोड़ों मुसलमान शुक्रिया कहेंगे। उनकी जमीनों को चंद लोगों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी।
प्रश्नः कुछ दिन में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह लागू हो जाएगा, ऐसे में सरकार को किस तरह इस कानून को लेकर आगे बढ़ना चाहिए?
जवाबः कोई भी कानून बनता है तो उसे लागू करने की प्रक्रिया होती है। संसद की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति जी इसे अनुमोदित करेंगी। इनके अनुमोदन के बाद नियम नोटिफाई होंगे। नियम नोटिफाई होने के बाद कानून के मुताबिक बोर्ड के गठन सहित अन्य प्रक्रियाएं कानून के मुताबिक शुरू होंगी। यह सब तो हुई नियम कानून की बात। मैं इतना कह सकती हूं सरकार का इरादा बहुत ही नेक है और मोदी जी के नेतृत्व में ऐतिहासिक बदलाव देश भर में देखने को मिलेंगे। राज्य सरकारों की भी भूमिका इसमें महत्वपूर्ण होगी। वक्फ की जमीनों का सदुपयोग सुनिश्चित होगा। थोड़ा इंतजार कीजिए बदलाव नजर आयेगा।
प्रश्नः मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जैसे संगठनों के साथ ही कई मौलाना व आलिम आंदोलन की धमकी दे रहे हैं। अब जबकि यह विधेयक पारित हो गया है, तो आप उनसे क्या कहेंगी?
जवाबः मैं अपील करूंगी सभी लोगों से कि कृपया कानून पढ़िए। यह मस्जिद, इबादतगाह या कब्रिस्तान पर कब्जा करने का कानून नहीं है। इतने वर्षों से वक्फ की संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा था। गरीब मुसलमानों के लिए कुछ नहीं हुआ। वक्फ बोर्ड के पास तनख्वाह देने के पैसे नहीं होते थे। इसका मतलब जो लोग इसे संभाल रहे थे, उनके कामकाज में कुछ न कुछ गड़बड़ी थी। वरना हजारों करोड़ की संपत्ति और तनख्वाह देने का भी पैसा नहीं हो। ऐसा कैसे हो सकता है? बेहतरी के लिए हुए बदलाव का स्वागत करिए मिलकर कौम की खुशहाली का रोडमैप बनाइये। कैसे अच्छे अस्पताल बन सकते हैं, अच्छे स्कूल कैसे बनाये जायें। 75 सालों में मुस्लिम कौम अगर इतने संसाधनों के बावजूद तरक्की की राह पर नहीं है तो कमियों को दूर करना होगा। कट्टर सोच और जड़ता से कुछ नहीं होगा। मुस्लिम देशों को देख लीजिए वे कौम की बेहतरी के लिए किस तरह से उदार फैसले ले रहे हैं। खुले मन से और बड़े दिल से आगे आना होगा। मैं यह भी कह सकती हूं कि धीरे-धीरे जो लोग विरोध कर रहे हैं उनको सच्चाई समझ आएगी।
प्रश्नः वक्फ विधेयक से मुसलमान कौम, यतीमों को कैसे फायदा होगा और कौम को भरोसा दिलवाने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए?
जवाबः देखिए, कौम को तो भरोसा है ही। आप देख लीजिए इतना भड़काने के बाद भी देश का आम मुसलमान इस विधेयक के खिलाफ नहीं खड़ा हुआ। वही लोग विरोध कर रहे हैं, जिनका अपना एजेंडा है। इस विधेयक से आम मुसलमान, गरीब मुसलमान, पसमंदा, मुस्लिम महिलाएं, विधवा महिलाएं सबको फायदा होने वाला है। यह सबकी भागीदारी के साथ सबकी बेहतरी का कानून है। वक्फ की जमीनों पर अच्छे स्कूल, अस्पताल, अनाथालय और कई अन्य काम किए जा सकते हैं, जिसका फायदा गरीबों को मिलेगा। इसके अलावा इन जमीनों से राजस्व बढ़ाकर इसका इस्तेमाल कौम की बेहतरी के लिए किया जा सकता है। बहुत कुछ बदलने वाला है। यह भी मोदी जी की गारंटी है।
प्रश्नः फिर मुस्लिम समुदाय के नेता इसका विरोध किस बात पर कर रहे हैं?
जवाबः मेरा मानना है वक्फ संशोधन का विरोध राजनीति से प्रेरित है और यह कट्टरपंथी ताकतों और वोट बैंक की सियासत करने वाले दलों के गठबंधन का गठजोड़ है। इसमें आम मुसलमान शामिल नहीं है। आम मुसलमानों को भड़काने के लिए तरह-तरह के भ्रम फैलाए जा रहे हैं। दरअसल, एक वर्ग है जो जड़ता में यकीन रखता है। यथास्थिति में ही उसे अपना फायदा दिखता है। उन्होंने कौम के नाम पर स्वयंभू ठेका ले रखा है। वह नहीं चाहते कोई बदलाव हो, क्योंकि सुधार होगा तो इनकी अपनी ठेकेदारी कैसे चलेगी? पर, वक्त बदल गया है मुसलमान समझता है कि जो भी हो रहा है वह कौम के हित में है।
प्रश्नः आप कह रही हैं कि यह कौम के हित में है। आखिर कैसे आप उन लोगों को समझाएंगी जो कह रहे हैं कि संशोधन कौम के खिलाफ है?
जवाबः देखिए, समझाया उसे जा सकता है जो समझना चाहे। आम आदमी समझ रहा है। विपक्ष, कट्टरपंथी ताकतें या मुस्लिम वोट का ठेका लेने वाले लोग कैसे समझेंगे? लेकिन अब हकीकत स्वीकार करनी होगी। मोदी सरकार वोट के लिए फैसले नहीं करती। हर फैसले में यह दृष्टिकोण होता है कि इससे कौम का या आम नागरिकों का और देश का क्या फायदा होगा। हर फैसले के पीछे देश के करोड़ों लोगों का हित छिपा होता है। यही वजह है कि तीन तलाक खत्म करने का फैसला सरकार ने किया। अब वक्फ कानून में सुधार हो रहा है।
प्रश्नः मौजूदा वक्फ संशोधन में महिलाओं को अधिकार की बात कही जा रही है, यह किस तरह से होगा?
जवाबः महिलाओं को अधिकार तब मिलता है, जब फैसलों में उनकी भागीदारी हो। वक्फ संशोधन में महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया है। जब वक्फ बोर्ड में महिलाएं शामिल होंगी तो निश्चित रूप से उनके हित पर भी बात होगी। अमूमन माना जाता है जहां महिलाएं होती हैं वहां कामकाज में पारदर्शिता भी होती है। भ्रष्टाचार कम होता है। महिलाओं को भागीदारी और अधिकार देना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प है। यह उनकी गारंटी है। उसी सोच से उन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित करवाया। इसी सोच से तीन तलाक की कुप्रथा खत्म की और इसी सोच से वक्फ में महिलाओं को अधिकार दिया, उन्हें प्रतिनिधित्व दिया है।
प्रश्नः आप महिलाओं के अधिकार की बात करती हैं। तीन तलाक खत्म करने से भी कई मौलवी खुश नहीं थे, अब वक्फ सुधार को भी इस्लाम धर्म में दखल बताया जा रहा है। आप क्या कहेंगी?
जवाबः महिलाओं को सबसे ज्यादा अधिकार की बात इस्लाम की बुनियाद में है। वक्फ संशोधन विधेयक में विशेष रूप से बोर्ड के गठन में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाना, मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने की ओर एक सराहनीय कदम है और महिलाओं को सम्मान देने के लिए इस्लामी उद्देश्य के अनुकूल भी है, क्योंकि, यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि इस्लाम विश्व का ऐसा धर्म है जिसने महिलाओं को उसके कानूनी अधिकार के तौर पर माता-पिता एवं दूसरे संबंधियों की संपत्तियों में आर्थिक अधिकार दिया है। कुरान में उसके संपत्ति के अधिकार का वर्णन किया गया है। कई स्थितियों में उसको पुरुषों से अधिक अधिकार प्रदान किए हैं। पैगंबर साहब की पत्नी खदीजा एक सफल व्यापारी थीं। इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा। मुश्किल है कि कुछ लोग धर्म की व्याख्या भी केवल अपने नफे-नुकसान के लिए करते हैं।
प्रश्नः आप कह रही हैं महिलाओं को फायदा होगा? महिलाएं बड़ा वोट बैंक भी हैं। यह बात विपक्ष को क्यों नहीं समझ आ रही?
जवाबः मैंने पहले कहा मोदी जी का फैसला वोट के लिए नहीं होता। हां, यह सही है कि उनके फैसलों से आज महिलाएं स्वाभाविक तौर पर उनके साथ खड़ी हैं। विपक्ष नहीं समझ रहा है, इसलिए उनका ग्राफ लगातार गिर रहा है। मैं फिर कहूंगी सभी वक्फ संशोधन विधेयक को पढ़ें तो समझ में आएगा कि इससे महिलाओं को कई महत्वपूर्ण फायदे मिलेंगे। इसमें महिलाओं को वक्फ संपत्तियों में समान अधिकार दिए जाएंगे, जिससे वे उत्तराधिकारी के रूप में अपनी संपत्तियों का प्रबंधन कर सकेंगी। इसके अलावा, वक्फ बोर्डों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे उनके अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा मिलेगा। विधेयक में वक्फ बोर्डों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी का प्रविधान है। इससे महिलाओं की आवाज मुखर होगी।
प्रश्नः बहस के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ नेताओं ने यह बात रखी है कि उन्हें सभी शर्तें मंजूर है, यदि यह कानून देश के सभी धर्म के संगठनों पर लागू किया जाए? क्या उनकी यह मांग मानने में कोई परेशानी है?
जवाबः यह कानून धार्मिक संस्था के लिए नहीं है। यह भू-प्रबंधन का मामला है। इस तरह की बात वही लोग कर रहे हैं जो इसे मंदिर, मस्जिद या इस्लाम से जोड़ना चाहते हैं। मांग का कोई औचित्य हो तब उसका जवाब दिया जा सकता है। यह वक्फ कानून संशोधन पूरी तरह से भू संपत्तियों के प्रबंधन और भ्रष्टाचार रहित वक्फ प्रशासन के साथ सबकी भागीदारी के साथ संस्था को बेहतर बनाने के लिए है। यह धर्म से कतई नहीं जुड़ा है।
प्रश्नः यह बात भी कही जा रही है कि इस कानून के बहाने सरकार वक्फ के मस्जिद और कब्रस्तानों पर कब्जा हो जाएगा। आपका क्या कहना है?
जवाबः इसे माननीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में स्पष्ट कर दिया कि इसका मस्जिदों से कोई लेना-देना नहीं है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में स्पष्ट कर दिया। अब जिन्हें भ्रम फैलाना है, उन्हें बार-बार क्या जवाब दिया जाए।
प्रश्नः ओवैसी सहित कई नेताओं द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि वक्फ संशोधन कानून संविधान की अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है ?
जवाबः ओवैसी साहब कानून के जानकार हैं, पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उनकी बातें कभी भी संविधान या कानून की किताब के हिसाब से नहीं होती बल्कि उस पर कट्टरपंथी चश्मा होता है। उनका नजरिया भड़काने वाला होता है। जिस जमीन से उन्हें सद्भाव का पैगाम देना चाहिए वहां खड़े होकर वह भड़काने वाले भाषण देते हैं। उन्हें लगता है देश का मुसलमान भड़काने वाली सियासत से उन्हें अपना नेता मान लेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है। उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मुसलमानों ने उन्हें रिजेक्ट करने का संदेश दिया है। फिर भी वे नहीं मान रहे। ओवैसी साहब हों या अन्य कोई नेता जो भी यह कह रहे हैं कि वक्फ संशोधन अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, वे कोर्ट चले जाएं और अपनी बात साबित करें। किसने रोका है। बात बिल्कुल साफ है संविधान के प्रविधानों की मनमानी व्याख्या नहीं हो सकती। ये वही लोग हैं जिन्हें सबकी भागीदारी और सबकी हिस्सेदारी से एतराज है। हिम्मत है तो ओवैसी साहब आइए, बहस कीजिए और बताइए आपने कभी मुस्लिम महिलाओं, खवातीनों की बात और उनके मसले क्यों नहीं उठाए? तीन तलाक खत्म करने जैसे सुधार का विरोध क्यों किया ? क्यों नहीं कहा आपने कि इस्लाम में मुस्लिम महिलाओं को भी बराबरी का हक दिया गया है, इसलिए वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाएं क्यों नहीं हैं? एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि कोई भी अधिकार बिना जवाबदेही के नहीं हो सकता। आप धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में मनमानी नहीं कर सकते और अपने ही कौम के बड़े हिस्से को फैसलों से अलग-थलग नहीं रख सकते।
प्रश्नः कहा जा रहा है कि शरिया कानून की भी अवहेलना है...आपका क्या कहना है ?
जवाबः उनसे कहिए पहले वह यह तय कर लें कि वे संविधान को मानते हैं या धर्म आधारित कानूनों से देश चलाना चाहते हैं। कभी संविधान की दुहाई देने लगते हैं, कभी चाहते हैं शरिया से देश चले। धर्म निजी विषय है। देश तो संविधान से ही चलेगा। कई सुधार संविधान के मुताबिक हिंदू धर्म में भी हुए। बाल विवाह प्रथा पर रोक लगाई गई, सती प्रथा पर रोक लगाई गई। मुस्लिम समुदाय भी अब सुधारों के लिए तैयार हो रहा है। तीन तलाक खत्म करने के मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय को भड़काने की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं। पूरी कौम ने परिपक्वता से इसे स्वीकारा। मुस्लिम महिलाएं तो मोदी जी की मुरीद हो गईं। मेरी बात मानिए, इस एक फैसले की वजह से बहुत-सी मुस्लिम महिलाएं व लड़कियां मोदी जी को वोट करने लगी हैं। इसलिए खुले दिल से सुधारों को स्वीकार कीजिए। ... और कौम की खुशहाली के लिए काम कीजिए उन्हें अंधकार से रोशनी की ओर ले जाने की जरूरत है। वक्फ सुधार समय की जरूरत है।
प्रश्नः वक्फ मामले में पारदर्शिता लाने व भ्रष्टाचार रोकने के लिए विधेयक में क्या प्रविधान है?
जवाबः इस विधेयक में वक्फ बोर्डों की संरचना में बदलाव, सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार और वक्फ संपत्तियों के लिए वित्तीय पारदर्शिता के नियमों को बेहतर किया गया है। इसके साथ ही, वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग के खिलाफ सख्त प्रविधान भी जोड़े गए हैं। इसी तरह, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली स्थापित की गई है। इसमें नियमित आडिट, वित्तीय रिपोर्टिंग और संपत्तियों के विकास के लिए योजनाओं का निर्माण शामिल है।
प्रश्नः आप आम मुसलमान, अल्पसंख्यक समुदाय से क्या अपील करना चाहेंगी?
जवाबः मैं यही कहूंगी कि किसी के बहकावे में मत आइए। लोग अपने स्वार्थ में भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। वक्फ संशोधन से कौम का नुकसान नहीं बल्कि फायदा है। आम मुसलमान की सुनी जाएगी। महिलाओं को हक मिलेगा। भ्रष्टाचार खत्म होगा तो आपकी संपत्तियों का आपके हित में बेहतर उपयोग होगा। यह इस्लाम के भी कतई खिलाफ नहीं है। मैं बहस करने को तैयार हूं उन लोगों से जो इसे धर्म में दखल बताते हैं। सुधार वक्त की जरूरत हैं और इससे आम मुसलमान और महिलाओं को संबल मिलेगा।
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