आधुनिक दिल्ली के शिल्पकार थे वीके मल्होत्रा, राजधानी में 15 कॉलेजों की स्थापना; पढ़ें उनके जुड़ी खास बातें
वीके मल्होत्रा आधुनिक दिल्ली के शिल्पकार थे जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी को शिक्षा का केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 15 कॉलेजों की स्थापना की और स्कूलों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। मल्होत्रा ने दिल्ली में भारत केसरी दंगल शुरू कराया और झुग्गी-झोपड़ियों को हटवाकर लोगों को जमीनें दिलवाई। वह भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल को तय करने वाली समिति के सदस्य थे।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। वीके मल्होत्रा आधुनिक दिल्ली के शिल्पकार थे। राष्ट्रीय राजधानी को शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाने में उनका प्रमुख योगदान रहा। उन्होंने विवेकानंद कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कालेज व राजधानी कॉलेज जैसे कम से कम 15 कॉलेजों की स्थापना की।
यह उस समय की बात है जब दिल्ली की आर्थिकी बेहतर नहीं थी, लेकिन उनमें दूरदर्शिता इतनी कि वह शिक्षा के महत्व को जानते थे। इसी तरह, स्कूलों की संख्या बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। इसी तरह, खेल के महत्व को समझा और दिल्ली में भारत केसरी दंगल आरंभ कराया। पहलवानों के पौधे रोपे।
दिल्ली में आधारभूत सुविधाओं की बेहतरी की बात हो या स्थानों को झुग्गी मुक्त व साफ-सुथरा बनाने की, उन्होंने कई अभूतपूर्व पहल किए। आज जहां कश्मीरी गेट बस अड्डा है, वहां बेशुमार झुग्गियां थी, उसे हटवाकर झुग्गी वालों को सीमापुरी में जमीनें दिलवाई। वह, गजब के संगठनकर्ता थे। विनम्र स्वभाव, मृद वाणी के साथ कार्यकर्ताओं के साथ मिलनसार थे। उन्हें दिल्ली के बारे में गजब की जानकारी थी। उनका दूरदर्शी नजरियां स्पष्ट था।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय जनसंघ और भाजपा को दिल्ली में पुष्पित, पल्लवित करने में अहम योगदान दिया। भाजपा के स्थापना के बाद जब उसके चुनाव चिन्ह तय करने की बारी आई तब कमल चुनाव चिन्ह तय करने वाली तीन सदस्यीय समिति के एक वह भी सदस्य थे। वह जितने विनम्र रहते थे, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दो पर सत्ता से टकराने में हिचकते नहीं थे।
जुल्फिकार अली भुट्टो से शिमला समझौता कर जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दिल्ली लौटी तो उनका हवाई अड्डे के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। क्योंकि, उस समझौते में वर्ष 1971 के युद्ध में बंदी पाकिस्तानी सैनिकों को छोड़ने की तो बात थी, लेकिन पाकिस्तान में बंदी भारतीय सेना के जवानों के बारे में कुछ नहीं था।
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इसी तरह सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हाजी पीर की दरगाह को जीतने के बाद भी पाकिस्तान को वापस लौटा दिया गया था। उस विरोध प्रदर्शन में विजय कुमार मल्होत्रा समेत अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे।
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