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    Waqf Board: दिल्ली में विवादित वक्फ बोर्ड के कानूनी मुद्​दे को लेकर विस्तृत ड्राफ्ट तैयार करेगी VHP

    By Nimish HemantEdited By: Pradeep Kumar Chauhan
    Updated: Wed, 28 Sep 2022 02:32 AM (IST)

    Waqf Board दिल्ली समेत देशभर में ऐसे कई संपत्तियां हैं जिसपर इस कानून को हथियार बनाते हुए अपने अधिकार जताए गए और उसे अपने कब्जे में ले लिया गया है। उक्त मामले ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) को भी चौंकाया है।

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    Waqf Board: कुछ दिन पहले ही विहिप ने इस मुद्​दे को लेकर जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन भी किया था

    नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। तमिलनाडु के एक हिंदू बाहुल्य गांव तिरुचेंथुरई को जब वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी संपत्ति घोषित करने का मामला सामने आया, तब देश के सामने वर्ष 1995 के कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दिए गए असाधारण अधिकारों के बारे में पता चला। देशभर में यह बहस तेज हो गई कि 1500 वर्ष पुराने मंदिर वाले गांव को देश में 1400 पूर्व आए इस्लाम धर्म की संपत्ति कैसे घोषित किया जा सकता है।

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    यह एक मामला है जो सामने आया है। जानकारों के मुताबिक दिल्ली समेत देशभर में ऐसे कई संपत्तियां हैं, जिसपर इस कानून को हथियार बनाते हुए अपने अधिकार जताए गए और उसे अपने कब्जे में ले लिया गया है।

    उक्त मामले ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) को भी चौंकाया है। विहिप ने इसे "जमीनी आतंक' बताते हुए देश के लिए बेहद गंभीर मामला माना है। उसने इस मामले को गंभीरता से लेना शुरू किया है।

    कानूनी विशेषज्ञों की उसकी टीम पूरे विवादित कानून का अध्ययन करने के बाद उससे संबंधित एक विस्तृत ड्राफ्ट तैयार कर रही है, जिसे अगले माह केंद्र सरकार को सौंपने की तैयारी है। इसके साथ ही मौजूदा वक्फ कानून में गैरसंवैधानिक प्रविधानों का जिक्र करते हुए उसके द्वारा सरकार से उसमें संशोधन कर उसे संविधान सम्मत बनाने की मांग की जाएगी।

    कुछ दिन पहले ही विहिप ने इस मुद्​दे को लेकर जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन भी किया था। ये कानून 1995 में कांग्रेसनीत सरकार के प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव के कार्यकाल में अस्तित्व में आया व वर्ष 2003 में पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार में संशोधित हुआ।

    विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के मुताबिक इस कानून में वक्फ बाेर्ड को ऐसे असंवैधानिक अधिकार दिए गए हैं, जो न गुरुद्वारों और न देश में स्थित मंदिरों के लिए हैं। अगर वक्फ बोर्ड ने किसी संपत्ति को गजट में डाल दिया और एक साल बाद वह पुलिस के साथ संपत्ति पर मालिकाना हक जताने पहुंचती है तो फिर संपत्ति मालिक के पास संपत्ति छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है।

    इस तरह इसमें संविधान की मूल भावना को किनारे रखकर ऐसे कई एक पक्षीय अधिकार दिए गए हैं, जिसे तत्काल दूर करने की आवश्यकता है और इसके लिए कानून में संशोधन अतिआवश्यक है। संगठन के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस कानून के चलते आज देश का कोई नागरिक अपने घर को लेकर आश्वस्त नहीं है। ऐसे घटनाक्रम भी हो सकते हैं, जिसमें उसके आशियाने को भी "वक्फ संपत्ति' घोषित कर दी जाए।

    यह बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने बताया कि विहिप की कानून विशेषज्ञों की टीम ने संशोधन की मांग वाला ड्राफ्ट तैयार भी कर लिया था, पर इसी वर्ष अप्रैल में राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित जिंदल सा लिमिटेड मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्ति को लेकर कुछ मानक तय किए हैं, जिसमें उस संपत्ति पर पहले से वक्फ संबंधित काम होने या उससे अर्जित धन का इस्तेमाल वक्फ के लिए ही होना, जैसे अन्य हैं। इस आधार पर अब तैयार ड्राफ्ट में बदलाव किए जा रहे हैं और इसे अगले माह सरकार को सौंपने की तैयारी है।