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    कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की जमानत बढ़ाने से इनकार, हाई कोर्ट ने कहा- केवल पैरोल या फर्लो का हक

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:29 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि वह केवल पैरोल का हकदार है क्योंकि वह एक सिद्धदोष अपराधी है। विकास ने शादी के लिए जमानत मांगी थी लेकिन कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के पास सुप्रीम कोर्ट जैसी असाधारण शक्तियां नहीं हैं।

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    नीतीश कटारा हत्या के दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से हाई कोर्ट का इन्कार

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की जेल की सजा काट रहे दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है।

    न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने कहा कि विकास यादव दोषी है और केवल पैरोल या फर्लो का हकदार है। उनकी जमानत नहीं बढ़ाई जा सकती है।

    अदालत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत दी।

    लेकिन हाई कोर्ट के पास ऐसी शक्ति उपलब्ध नहीं है। गौरतलब है कि विकास यादव ने अपनी शादी के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी।

     इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट जाने के लिए कहा था।

    विकास की अंतरिम जमानत मंगलवार को खत्म हो रही है। वह उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव का बेटा है। उसके भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा सुनाई गई थी।

    विकास 23 साल की सजा काट चुका है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि चूंकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है। इसलिए हाई कोर्ट जाएं।

    इससे पहले पीठ ने विकास यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी। विकास ने हाई कोर्ट से सितंबर के पहले सप्ताह में शादी करने के लिए जमानत बढ़ाने की मांग की थी।

    सुप्रीम कोर्ट विकास की तरफ से 22 अगस्त को दाखिल उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें हाई कोर्ट ने उसकी अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को उसकी अंतरिम जमानत बढ़ा दी थी।

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    अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट जाने पर भी फैसला नहीं बदला और विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया गया।