Delhi News: बुजुर्ग के फ्लैट पर जबरन कब्जा, न्यू उस्मानपुर थानाध्यक्ष के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू
पूर्वी दिल्ली में एक बुजुर्ग के फ्लैट पर कब्जा कर लिया गया। मामले में पीड़ित पक्ष ने पुलिस पर मिलीभगत कर कब्जा करवाने का आरोप लगाया है। बुजुर्ग ने दिल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। थानाध्यक्षों पर जबरन मकान कब्जा करवाने के आरोप थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले करावल नगर थाने में इसी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था। अब न्यू उस्मानपुर थानाध्यक्ष सुखराम पाल पर एक बुजुर्ग ने जबरन फ्लैट कब्जा करवाने का आरोप लगाया है।
बुजुर्ग हिना परवीन न्याय की गुहार लेकर दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से मिलीं और थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मियों पर फ्लैट पर कब्जा करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने सुबूत के तौर पर मोबाइल की कॉल रिकॉर्डिंग व सीसीटीवी कैमरों के फुटेज पेश किए। बुजुर्ग की शिकायत पर थानाध्यक्ष के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। विजिलेंस कमेटी ने बुजुर्ग से सुबूत लेकर लंबी पूछताछ की।
ब्रह्मपुरी में खरीदा था सौ गज का फ्लैट
शिकायतकर्ता हिना के पति की मौत हो गई है। आयुक्त को दी गई शिकायत में बुजुर्ग ने बताया कि वर्ष 2021 में उन्होंने इरफान मीर नाम के एक बिल्डर से न्यू उस्मानपुर थाना क्षेत्र स्थित ब्रह्मपुरी गली नंबर-23 में सौ गज का फ्लैट खरीदा था। फ्लैट की कीमत 29.50 लाख रुपये है, उन्होंने कागजी कार्यवाही करके अक्टूबर 2022 में 28 लाख रुपये बिल्डर को दे दिए थे।
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
बिल्डर ने कब्जा उन्हें दे दिया था, वह अपने बेटे के साथ फ्लैट में रह रही थी। आरोप है कि जुलाई 2023 में कई लोगों ने मिलकर जबरन उन्हें फ्लैट से बाहर निकाल दिया, यह वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। उन्होंने वारदात की सूचना पुलिस को दी, लेकिन पुलिस ने सामान्य धाराओं में प्राथमिकी कर पल्ला झाड़ लिया। दिसंबर माह में वह संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा से मिलीं।
उन्होंने थाना पुलिस को निर्देश दिए कि फ्लैट पर दोबारा से कब्जे के लिए बुजुर्ग की मदद की जाए। तब जाकर पुलिस ने बिल्डर समेत कई लोगों पर धोखाधड़ी का केस पंजीकृत किया।
आरोप है उसी दौरान थानाध्यक्ष ने बुजुर्ग के बेटे को वाट्सएप पर कॉल करके कहा कि पुलिस अपनी गलती सुधारने के लिए उन्हें मौका दे रही है कि वह फ्लैट का ताला तोड़कर खुद कब्जा कर लें। ऐसा करने से बुजुर्ग ने मना कर दिया। जिला पुलिस से न्याय न मिलने पर वह आयुक्त के दरबार में गईं।

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