UPSC Result: 'पैसा ही सबकुछ नहीं...', 27 लाख की नौकरी छोड़ IPS बनीं प्राची; मां को बताया प्रेरणा
UPSC Result दिल्ली के सुभाष नगर की प्राची गुप्ता ने यूपीएससी परीक्षा में 172वां रैंक लाकर मिसाल कायम की है। 27 लाख की नौकरी छोड़कर आईपीएस बनने का उनका फैसला समाज सेवा के प्रति समर्पण दिखाता है। आईआईटी दिल्ली से पढ़ी प्राची ने पहले प्रयास में असफलता के बावजूद हार नहीं मानी। परिवार के सहयोग और समाज में बदलाव लाने की इच्छा ने उन्हें यह मुकाम दिलाया।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। UPSC Result 2024 : सुभाष नगर की प्राची गुप्ता संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में 172वां रैंक हासिल कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।
27 लाख रुपये सालाना की चमकदार नौकरी छोड़कर समाज सेवा का रास्ता चुनने वाली प्राची अब इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस) अधिकारी के रूप में देशवासियों की सेवा करेंगी। उनकी यह उपलब्धि मेहनत, लगन और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना का जीवंत उदाहरण है।
कैंपस प्लेसमेंट में हासिल की मैनेजमेंट कंसल्टेंट की नौकरी
आईआईटी, दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाली प्राची ने कैंपस प्लेसमेंट के जरिए मुंबई में मैनेजमेंट कंसल्टेंट की नौकरी हासिल की, जहां उन्हें 27 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिला। लेकिन उनके दिल में कुछ और ही सपना पल रहा था।
प्राची ने बताया, ‘पैसा कमा रही थी, लेकिन मुझे लगता था कि यह मेरे जीवन का उद्देश्य नहीं है। मैं समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती थी। रात को सोते वक्त मुझे यह सुकून चाहिए था कि मैंने कुछ अच्छा किया।’ सिविल सेवा की राह आसान नहीं थी। पहले दो प्रयासों में प्रिलिम्स में असफलता मिली, लेकिन प्राची ने हिम्मत नहीं हारी।
पिछले साल भी मनवाया था लोहा
पिछले वर्ष भारतीय वन सेवा में 16वां रैंक हासिल कर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इस बार 172वीं रैंक के साथ आईपीएस में चयनित होकर प्राची ने एक बार फिर साबित किया कि दृढ़ संकल्प के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती। मां की प्रेरणा, परिवार का सहयोग प्राची की मां डॉ. साधना अग्रवाल दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल हैं। वह उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं।
मां को बताया प्रेरणा
मां के समाज सेवा के जज्बे ने प्राची को बचपन से ही लोगों की मदद करने का सपना देखने को प्रेरित किया। उनके पिता पवन कुमार गुप्ता और बड़ी बहन सृष्टि गुप्ता भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। प्राची के पिता गैर सरकारी प्रतिष्ठान में नौकरी करते हैं। बहन सृष्टि भी आईआईटी दिल्ली की पूर्व छात्रा हैं। उन्होंने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया।
प्राची ने भावुक होकर कहा, ‘मेरे माता-पिता और बहन का समर्थन न होता, तो यह सफर इतना सुंदर न होता। मैं सिर्फ अमीरों को और अमीर बनाने के लिए काम नहीं करना चाहती थी। मेरा सपना था देश की समस्याओं के लिए कुछ करना।
‘पैसा ही सबकुछ नहीं, समाज सेवा है असली मकसद’
प्राची का मानना है कि बैंक में पड़े पैसे से सच्ची खुशी नहीं मिलती। वह चाहती थीं कि उनकी मेहनत और नौकरी समाज के लिए मायने रखे। उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसी जिंदगी चाहिए थी, जहां मैं हर दिन यह महसूस कर सकूं कि मैंने किसी के लिए कुछ अच्छा किया।’ उनकी इस सोच ने उन्हें लाखों की नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की कठिन राह पर चलने की हिम्मत दी।
सपनों को सच करने की मिसाल
प्राची गुप्ता की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखता है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल परिवार का सिर गर्व से ऊंचा किया, बल्कि यह भी दिखाया कि सच्ची सफलता वही है, जो समाज के लिए समर्पित हो। प्राची अब आईपीएस अधिकारी के रूप में देश सेवा की नई पारी शुरू करने को तैयार हैं और जल्द ही ट्रेनिंग के लिए लबसाना जाएंगी।
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