Uphaar Cinema Fire Tragedy: बेटे को गंवाने वाली मां ने कहा था- पैसे का घमंड करने वाले अंसल बंधुओं को मिली सजा
राजधानी दिल्ली के इतिहास में 13 जून (1997) काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। इस दिन उपहार सिनेमा में भीषण आग लग गई थी और 59 लोगों की मौत हो गई। साथ ही 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। राजधानी दिल्ली के इतिहास में 13 जून (1997) काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। इस दिन उपहार सिनेमा में भीषण आग लग गई थी और 59 लोगों की मौत हो गई। साथ ही 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
इस दर्दनाक हादसे में किसी ने अपने बच्चे, किसी ने अपना पति या पत्नि या फिर किसी ने अपने माता-पिता खो दिए थे। मामले में कोर्ट ने नवंबर, 2008 को अंसल बंधुओं को सजा सुनाई थी।
इस दौरान तीन दशक से भी अधिक समय से पीड़ितों की तरफ से न्याय की लड़ाई लड़ने वाली उपहार अग्निकांड पीड़ित एसोसिएशन की चेयरपर्सन नीलम कृष्णमूर्ति ने अदालत के फैसले का स्वागत किया था।
नीलम कृष्णमूर्ति ने कहा कि निर्णय आने के बाद सही मायने में ऐसा लगा कि बच्चों को न्याय मिला। अपनी बेटी उन्नति और बेटे उज्ज्वल को खोने के बाद उन्हें न्याय दिलाने का वादा किया था। एक मां होने के नाते दायित्व पूरा किया और अब संतुष्टि है कि बच्चों को न्याय मिला। उनकी आत्मा को शांति मिली होगी।
पैसे का घमंड करने वालों को मिली सजा
21 साल के बेटे को खोने वाले मोहन लाल सहगल कालकाजी स्थित अलकनंदा में रहते हैं। उन्होंने कहा कि रुपये का घमंड रखने वालों को सजा मिली। निश्चित तौर पर व्यवस्था की खामियों के कारण मामला लंबा चला, पर कोर्ट ने अपनी तरफ से पूरी मेहनत की।
उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषी सुशील अंसल और गोपाल अंसल ने व्यवस्था की खामियों का पूरा फायदा उठाने की कोशिश की। मामले को इतना लंबा चलाकर न्यायपालिका की तौहीन की गई। दोषियों ने जानबूझकर मामले को टालने की कोशिश की और बार-बार हाई कोर्ट से गुहार लगानी पड़ी। इस फैसले ने साबित किया कि अमीर और गरीब के लिए अगल-अलग कानून नहीं होता।
उपहार कांड के बाद क्या-क्या हुआ
जल्दी ही मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने रियल स्टेट उद्योगपति सुशील अंसल और गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की थी। अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था।
निचली अदालत से सभी को नवंबर, 2007 को दो साल कैद की सजा सुनाई। जनवरी, 2008 में दिल्ली हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं और दो अन्य को जमानत मिली। सितंबर 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।
दिसंबर 2008 को हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा। उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा।
8 नवंबर, 2021 को पटियाला हाउस कोर्ट ने रियल एस्टेट कारोबारी सुशील व गोपाल अंसल को सात-सात साल के कारावास की सजा सुनाई और 2.25-2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा अदालत के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा व अन्य दोषी पीपी बत्र और अनूप सिंह को भी सात साल जेल की सजा सुनाई थी। साथ ही तीन-तीन लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया।
जुलाई 2022 में दोषियों को रिहाई का आदेश
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नवंबर 2021 में अंसल बंधुओं समेत अन्य को दोषी करार देते हुए सात-सात कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, जुलाई 2022 में सत्र अदालत ने जेल में बिताई गई सजा के आधार पर दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। दोषियों ने कोर्ट द्वारा निर्धारित सजा पहले ही पूरी कर ली है।
दिल्ली पुलिस ने अंसल बंधुओं की रिहाई के जिला और प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित जुलाई 2022 के आदेश को चुनौती दी। अदालत ने उनकी जेल की सजा घटाकर आठ महीने कर दी थी जो उन्होंने जेल में बिताई थी। इस अपील में साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ मामले में निचली अदालत द्वारा जेल की सजा को 7 साल से घटाकर 8 महीने करने के आदेश को चुनौती दी गई।
अप्रैल, 2023 में दिल्ली पुलिस ने अंसल बंधुओं की रिहाई के जिला और प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित जुलाई 2022 के आदेश को चुनौती दी। अदालत ने उनकी जेल की सजा घटाकर आठ महीने कर दी थी जो उन्होंने जेल में बिताई थी। पटियाला हाउस के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने नवंबर 2021 में अंसल को सात साल की जेल की सजा और जुर्माना लगाया था।
18 जुलाई, 2023 को होगी सुनवाई
दिल्ली HC ने उपहार अग्निकांड में सबूतों से छेड़छाड़ मामले में दोषियों पीड़ितों की सुनवाई की याचिका को स्वीकार कर लिया। इस मामले में सुनवाई 18 जुलाई को होगी। साथ ही अदालत ने पक्षकारों को इस मामले में 4 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को भी कहा है।
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