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    हजरत निजामुद्दीन दरगाह के 2 सूफी मौलवी पाकिस्तान में लापता, विदेश मंत्रालय सक्रिय

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Fri, 17 Mar 2017 06:08 PM (IST)

    आसिफ अली निजामी कराची में रिश्तेदार से मिलने के बाद लाहौर की दरगाह जियारत करने गए थे। तब से निजामी की कोई खबर नहीं लग रही है। वहीं, नाजिम निजामी की कराची से लापता होने की खबर है।

    हजरत निजामुद्दीन दरगाह के 2 सूफी मौलवी पाकिस्तान में लापता, विदेश मंत्रालय सक्रिय

    नई दिल्ली [जेएनएन]। देश के बेहद प्रतिष्ठित निजामुद्दीन औलिया के दरगाह के दो धार्मिक गुरुओं के पाकिस्तान में गायब होने की खबर से कूटनीतिक हलके में हलचल मच गई है। आसिफ निजामी और नाजिम निजामी नाम के ये दो मौलवी निजामुद्दीन दरगाह के बेहद प्रतिष्ठित नाम हैं और वे लाहौर के दाता दरबार दरगाह के बुलावे पर वहां गये थे। उनके गायब होने की खबर की पुष्टि होने के बाद विदेश मंत्रालय ने इस मामले को पाकिस्तान सरकार के साथ बेहद गंभीरता के साथ उठाया है।

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    वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस मामले पर ट्वीट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने लिखा, 'भारतीय नागरिक 80 साल के सैयद आसिफ निजामी और उनका भतीजा नाजिम अली निजामी 8 मार्च, 2017 को पाकिस्तान गए थे। सैय्यद आसिफ अली निजामी हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह मुख्य धर्म गुरू हैं। कराची एयरपोर्ट पर उतरने के बाद से ही दोनों गायब हैं। मैंने इस मसले को पाकिस्तान सरकार के समक्ष उठाया है और आग्रह किया है कि वह दोनों भारतीय नागरिकों के बारे में पता लगाएं। '

    विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग ने इस बारे में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय से बात की है। अभी तक भारत को आधिकारिक तौर पर उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

    दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन और लाहौर के दाता दरबार के बीच बेहद पुराने व करीबी रिश्ते हैं। इन दोनों सूफी दरगाहों के धार्मिक गुरुओं के बीच हर साल एक दूसरे के यहां आने जाने की परंपरा है। पाकिस्तान की मीडिया से यह खबर आ रही है कि एक भारतीय मौलवी करांची से गायब हुए हैं जबकि दूसरे लाहौर से गायब हुए हैं। हालाकि विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

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    सूत्रों के मुताबिक अभी पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं है। बस इतनी सूचना है कि 80 वर्षीय आसिफ अली निजामी 6 मार्च, 2017 को पाकिस्तान एयरलाइंस के जहाज से करांची पहुंचे। वहां वे अपनी बहन के यहां ठहरे थे। वहां से वे लाहौर गये जहां बाबा फरीद के दरगाह पर चादर चढ़ाने गये। उसके बाद 14 मार्च, 2017 को उन्होंने एक अन्य सूफी दरगाह दाता दरबार के यहां चादर चढ़ाई। उसके बाद उन्हें करांची लौटना था लेकिन वे एयरपोर्ट पर नहीं पहुंचे। उनका फोन भी बुधवार शाम 4.25 बजे से बंद आ रहा है। उसके बाद उनके परिवार के लोगों पाकिस्तान उच्यायोग व भारतीय उच्चायोग से संपर्क साधा है। 

    गौरतलब पाकिस्तान में आतंकी लगातार इस्लाम के सूफी पद्धति को मानने वालों के खिलाफ हमला करते रहते हैं। दाता दरबार पर भी आतंकी पहले हमला कर कर चुके हैं। पिछले साल दाता दरबार में हमेशा कव्वाली गाने वाले अमजद साबरी की हत्या कर दी गई थी। जबकि अभी हाल ही में सिंध प्रांत में स्थित बेहद पुराने व सभी धर्मो के लोगों में समान तौर पर लोकप्रिय लाल शहबाज मस्त कलंदर दरगाह पर आत्मघाती हमले में सौ से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्या की गई है।