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    टर्निंग प्‍वाइंट: जीवन में सही निर्णय लेने की सीखें कला, जल्‍दी मिलेगी कामयाबी

    By Dheerendra PathakEdited By:
    Updated: Fri, 15 Apr 2022 03:39 PM (IST)

    ज्यादातर युवा प्राय अपने मन की आवाज न सुनकर बाहरी चीजों के प्रभाव में आकर जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं। यकीन मानिए इससे बुरा कोई भी व्यक्ति खुद के साथ नहीं कर सकता। यही कारण है कि ऐसे युवा 99 प्रतिशत की भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाते हैं।

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    आप अपना लक्ष्य खुद की अंतरआत्मा की आवाज व जुनून को पहचान कर ही निर्धारित करें। फोटो: फ्रीपिक

    नई दिल्‍ली,गोविंद भादू। ज्यादातर युवा प्राय: अपने मन की आवाज न सुनकर बाहरी चीजों के प्रभाव में आकर जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं। यकीन मानिए इससे बुरा कोई भी व्यक्ति खुद के साथ नहीं कर सकता। यही कारण है कि ऐसे युवा 99 प्रतिशत की भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाते हैं।

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    यदि आप किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं, चाहे वह नौकरी हो, बिजनेस या प्रशासनिक परीक्षा, खुद की पहचान एक सफल व्यक्तित्व के रूप में बनाने की इच्‍छा रखते हैं, तो सबसे पहले यह समझना और पहचानना होगा कि यह इच्छा आपकी अंतरआत्‍मा की आवाज है या किसी दूसरे के कहने के आधार पर लिया गया कोई फैसला। क्योंकि किसी अन्य के सोच के प्रभाव में लिये गये निर्णय के लिए आप काम तो कर सकते हैं, लेकिन पूरे मन से 100 प्रतिशत प्रयास नहीं कर पाएंगे। जो भी करेंगे, वह काम कहीं न कहीं अधूरे मन से ही करेंगे। इसलिए उसका परिणाम भी औसत ही होगा। इसलिए आपके निर्णय में सही अप्रोच का होना बहुत जरूरी है यानी आप अपना लक्ष्य खुद की अंतरआत्मा की आवाज व जुनून को पहचान कर ही निर्धारित करें।

    सफलता के मायने: आपके लिए सफलता के क्या मायने हैं, इसका निर्धारण भी स्वयं आपको ही करना होगा। हममें से ज्यादातर लोग अक्सर अपने मन की आवाज न सुनकर बाहरी कारकों के प्रभाव में आकर जीवन के अहम निर्णय लेते हैं, जबकि ऐसा कतई नहीं करना चाहिए। ऐसा करके हम अंततोगत्‍वा अपना ही नुकसान करेंगे। क्योंकि प्रकृति ने हम सभी को स्वयं में इतना सशक्‍त बनाया है कि हम किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए सक्षम हैं। जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ आत्मावलोकन कर खुद के अंदर छिपे महान व्यक्तित्व को पहचानने की। याद रखिए सफलता के मार्ग में तीन ‘स‘ के फार्मूले को अपनाकर ही आप अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं : 1.स्वीकार करने की क्षमता, 2. समीक्षा करने का साहस, और 3. सुधार करने की लगन।

    स्वीकार करने की क्षमता : दरअसल, हम सभी परिवार, मित्र व समाज के प्रभाव में अपनी स्वयं की सोच व अंतरआत्‍मा की आवाज को पहचान नहीं पाते। ज्यादातर लोग खासकर युवा, एक निर्धारित सरंचना के अनुसार जीवन का निर्वाह करने लगते हैं। केवल कुछ ही लोग होते हैं, जो अपनी ताकत को पहचानकर इस दुनिया में इतिहास रचते हैं और एक सफल शख्सियत के रूप में दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इनकी संख्या कुल आबादी में महज एक प्रतिशत ही होती है। ऐसा तभी संभव है जब आप स्वयं की ताकत व कमियों को पहचान कर, समाज व आसपास के वातावरण के प्रभाव में विकसित हुई अपनी खुद की विश्‍वास प्रणाली को चुनौती देते हैं। ऐसा करने के लिए बहुत अधिक दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। आपको यह स्वीकार करना होगा कि आप कई बाहरी परतों से प्रभावित हैं जिन्हें दुरुस्त करने की आवश्यकता है और यह भी स्वीकार करना होगा कि ऐसा करने के लिए आपके पास पर्याप्‍त क्षमता व शक्ति है। इसलिए जरूरत है तो बस अपने मन व मस्तिष्क की आवाज को पहचानने की। याद रखें, आप अपनी आवाज तभी सुन सकते हैं, जब आप अपनी खुद की विश्‍वास प्रणाली और आसपास की परिस्थितियों पर सवाल उठाने की क्षमता रखते हों। अगर आप सवाल नहीं करेंगे तो आप स्वीकार नहीं कर पाएंगे।

    समीक्षा करने का साहस : दूसरा सबसे महत्वपूर्ण फार्मूला है समीक्षा। आपको स्वयं यह तय करना है कि आप क्या कर रहे हैं और क्या हासिल करना चाहते हैं। यह आपकी यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, जहां आप अपनी बुद्धि का उपयोग अपने विभिन्‍न निर्णयों की पहचान करने और आकलन के लिए करते हैं। खुद में खुद को पहचानते हैं। इसे जानने का सबसे आसान तरीका है, विभिन्‍न अनुभवों और परिस्थितियों में अपनी भावनाओं को पहचानना और उनका विश्‍लेषण करना। इसके लिए आपको अपनी विश्‍वास प्रणाली पर पड़ी हुई परतों को हटाने की आवश्यकता है, जो आपको विशेष दिशा में आगे बढ़ने के लिए रोकती हैं। आपको अपनी मूल ताकत की पहचान करके अपने करियर के विकास के लिए उस क्षेत्र की पहचान और चयन करना है। ध्यान रहे अगर आपके निर्णय आपके पुराने अनुभवों से विकसित हुई विश्‍वास प्रणाली से प्रभावित होते रहेंगे तो आपकी यात्रा कठिन होती जाएगी। इस विश्‍लेषण को करते समय आपके पास एक लचीली मानसिकता होनी चाहिए। यह मानसिकता आपको अपने तर्क के माध्यम से पुरानी गलत धारणाओं से बाहर निकलने में सहायक होगी।

    सुधार करने की लगन : तीसरा सबसे महत्वपूर्ण कदम है निरंतर सुधार। जब आप कोई निर्णय लेते हैं तो उस पर निरंतर सक्रिय रहने के साथ-साथ समय-समय पर आवश्यक सुधार करते रहना बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने के लिए बहुत अधिक संकल्प, इच्छा शक्ति और फोकस की आवश्यकता होती है, क्योंकि संकल्प कमजोर पड़ सकता है अगर उसे निरंतर सही दिशा में चलते हुए सुधार के साथ सक्रिय न रखा जाए। इस प्रकार खुद के कार्य की समय-समय पर समीक्षा और जरूरी सुधार करते जाएंगे, तो आप निश्चित ही अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे।

    इस क्रम में आपको बस इतना करने की जरूरत है कि पूरे दृढ़ विश्‍वास, इच्छाशक्ति और फोकस के साथ पहला कदम उठाएं। आपको अपने संकल्प की राह में आने वाली मानसिक बाधाओं की पहचान करनी चाहिए, अपनी इच्छाशक्ति की कमी को दूर करना चाहिए और पूरे जोश के साथ अपने फैसलों में आवश्यक परिवर्तन व सुधार के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। याद रहे, आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति ही वह कुंजी है, जो आपको समय-समय पर आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करेगी।

    (लेखक, एंटरप्रेन्योर व इंस्पीरेशनल स्पीकर हैं)