काश! एफओबी बनता तो हमारे बीच होतीं रौनक और शाहस्ता, दो छात्रों की मौत के बाद बोले स्थानीय लोग
दिल्ली के नांगलोई में दो छात्राओं की रेलवे लाइन पार करते समय दुखद मौत हो गई। स्थानीय लोगों ने सुगम रास्ते की कमी के कारण हो रही परेशानियों के बारे में बताया। वे वर्षों से एफओबी की मांग कर रहे हैं लेकिन रेलवे द्वारा रास्ता बंद करने से स्थिति और खराब हो गई है। लोगों ने सरकार से आरओबी बनाने और प्रेमनगर में नए स्कूल खोलने का आग्रह किया।

धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। देश की राजधानी में स्कूल आने-जाने के लिए सुगम और सुरक्षित रास्ता न मिलने के कारण दो मासूम छात्राओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। नांगलोई स्टेशन के पास रेलवे लाइन पर अगर एफओबी बनाया होता तो रौनक व शाइस्ता हमारे बीच होतीं। किराड़ी के प्रेमनगर में रेलवे लाइन के पास रह रहे हजारों लोग पिछले कुछ वर्षों से एफओबी की मांग कर रहे हैं।
करीब दस दिन पहले रेलवे विभाग ने खंभे लगाकर रास्ते को पूरी तरह से बंद करने के बाद लोगों की परेशानी और बढ़ गई। एफआेबी की मांग को लेकर दो दिन पहले लोगों ने प्रदर्शन भी किया था और स्थानीय सांसद के कार्यालय जाकर एफओबी की मांग भी रखी थी।
सुगम और सुरक्षित रास्ता नहीं होने के कारण हर रोज बड़ी संख्या में लोग रेलवे लाइन को पार कर अपने गंतव्य आते-जाते हैं। इनमें बड़ी संख्या में अभिभावक व स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। दैनिक जागरण लोगों की इस परेशानी को लगातार उठा रहा है।
रास्ते को लेकर लोगों की परेशानी कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार दोपहर हुए इस दर्दनाक हादसे के कुछ घंटे बाद स्कूल की सांध्य पाली समाप्ति के बाद अभिभावक व बच्चे रेलवे लाइन पार कर घर लौटे। हादसे दुखी स्थानीय लोगों ने बताया कि जब से रेलवे ने खंभे व दीवार बनाकर रास्ता बंद किया है, तब से बच्चों की जान का और जोखिम बढ़ गया है।
रास्ते खुले थे, तब बच्चे स्कूल से नांगलोई रेलवे स्टेशन पहुंत जाते थे और इसके बाद गलियों से होते हुए घर पहुंच जाते थे। बच्चों को रेलवे लाइन की तरफ नहीं जाते थे। अब चूंकि रेलवे ने सारे रास्ते बंद कर दिए, इसलिए बच्चों को रेलवे ट्रैक की ओर आना पड़ रहा है। रेलवे को पहले आरओबी या अंडरपास बनाना चाहिए था, उसके बाद रास्ते बंद करने चाहिए थे।
लोगों को पता है कि रेलवे लाइन पर इस तरह से आवाजाही गैर-कानूनी भी है और जान-लेवा भी है, यह जानते हुए भी लोग वर्षों से इसी तरह से रेलवे लाइन पार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा जोखिम बच्चों को है। शासन और प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को लोगों की परेशानी की जानकारी है, लेकिन आज तक किसी ने आरओबी, अंडरपास बनवाने की पहल नहीं की।
हमारा प्रयास सामाजिक उत्थान समिति के अध्यक्ष मोहन पासवान का कहना है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेमनगर के बच्चों को जान को दांव पर लगाना पड़ता है। दुख की बात है समाज और सरकार के लिए भी कि हम सब मिलकर सुगम और सुरक्षित रास्ता नहीं दे पा रहे हैं।
सरकार को चाहिए कि सुखी नहर रोड और रोहतक रोड को जोड़ने वाली सड़क जो रेलवे लाइन के दोनों तरफ है, वहां रेलवे लाइन के ऊपर से ओवरब्रिज बनाएं ताकि ऐसे गंभीर और दुखद समस्या को रोक सके। और प्रेमनगर के लोगों का बहुत दिन से यह मांग भी है। इसके अलावा सरकार को प्रेमनगर-दो और प्रेमनगर-तीन में नए स्कूल का निर्माण करना होगा, ताकि बच्चों को रेलवे लाइन के पास न जाना पड़े।
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