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फिल्म पद्मावत के विरोध के बीच जानिए, चिर निंद्रा में कहां लीन है खिलजी

बहुत कम लोग ऐसे हैं जो सन 1296 और 1316 के समय हिन्दुस्तान में शासन करने वाले अलाउद्दीन खिलजी के बारे में ये जानते हैं कि खिलजी को कहां दफन किया गया था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 29 Jan 2018 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 03:51 PM (IST)
फिल्म पद्मावत के विरोध के बीच जानिए, चिर निंद्रा में कहां लीन है खिलजी
फिल्म पद्मावत के विरोध के बीच जानिए, चिर निंद्रा में कहां लीन है खिलजी

नई दिल्ली [ वीके शुक्ला ] । जिस फिल्म पद्मावत को लेकर देश के कई हिस्सों में बवाल हो रहा है। इस विवादित फिल्म का मुख्य किरदार अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के महरौली स्थित कुतुबमीनार परिसर में सो रहा है। उसे यहीं दफन किया गया था। जिसका मकबरा आज भी मौजूद है।

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लेकिन बहुत कम लोग ऐसे हैं जो सन 1296 और 1316 के समय हिन्दुस्तान में शासन करने वाले अलाउद्दीन खिलजी के बारे में ये जानते हैं कि खिलजी को कहां दफन किया गया था। आइए ये बताने के लिए आपको ले चलते हैं  कुतुबमीनार। 

हर रोज 10 से 12 हजार देश-विदेश के पर्यटक गगनचुंबी कुतुबमीनार को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। शनिवार और रविवार को पर्यटकों का ये आंकड़ा 15 हजार तक पहुंच जाता है। कुतुबमीनार को देखने के साथ ही पर्यटक यहां लगे एक लौह स्तंभ को भी बड़े गौर से देखते हैं।

कुतुबमीनार से सटे परिसर में अलाउद्दीन खिलजी के मकबरे के साथ ही मदरसा है। मीनार से करीब 100 कदम दाएं चलने पर एक गिर चुके गुम्बद के नीचे चौकोर सा चबूतरा है। ये ही अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा है। 1316 में खिलजी की मौत हुई थी। इसी से सटा हुआ है मदरसा।

खिलजी ने बच्चों को पारंपरिक तालीम देने के लिए इस मदरसे का निर्माण कराया था। उसकी कब्र के करीब से लोगों का हुजूम खामोशी से गुजर जाता है। कब्र के चारों ओर लोग खड़े होकर दिल्ली सल्तनत के बिखरे पन्नों के साथ सेल्फी लेने में मशगूल होते हैं, लेकिन किसी को खबर नहीं कि वो सामने ही अपनी कब्र में सोया हुआ है।

 

इसी परिसर में खिलजी द्वारा बनवाया गया अलाई दरवाजा है। कुछ कदम आगे जाने पर  वह अलाई मीनार भी मौजूद है जिसे खिलजी ने कुतुब मीनार से दो गुणा ऊंची भव्य मीनार बनाए जाने के लिए काम शुरू कराया था।

खिलजी ने सीरीफोर्ट से शासन किया

अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 में हौजखास एंक्लेव के पास सीरीफोर्ट का निर्माण कराया था। उसने इसी किले से शासन किया। उस समय की कुछ मस्जिदें अब मौजूद हैं। मगर किला का भगभग  के अधिकतर भाग का नामोनिशान मिट चुका है।

कुछ साल पहले इस किले की जमीन में मिली दीवार का संरक्षण कार्य कराया गया है। खिलजी काल में बनी तोहफे वाली मस्जिद का कुछ हिस्सा शाहपुरजट गांव के पास आज भी मौजूद है। सीरी फोर्ट से शासन करते हुए खिलजी मंगोलों से लड़ता रहा और 1316 में उसकी बीमारी से मौत हो गई। 

अलाउद्दीन खिलजी ने अक्टूबर 1296 को अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या धोखे से उस समय करवा दी थी जब वो उससे गले मिल रहे थे। उसने अपने सगे चाचा के साथ विश्वासघात कर खुद को सुल्तान घोषित कर दिया और दिल्ली में स्थित बलबन के लाल महल में अपना राज्याभिषेक 22 अक्टूबर 1296 को संपन्न करवाया।


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