दिल्ली विधानसभा सत्र का आज दूसरा दिन, पिछली सरकार के कामकाज की कैग रिपोर्ट होगी पेश
Delhi Vidhan Sabha Session दिल्ली विधानसभा में भाजपा सरकार पिछली आप सरकार के कार्यकाल की 14 लंबित सीएजी रिपोर्ट पेश करेगी। इन रिपोर्ट में आबकारी मामला ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पिछली सरकार के कार्यों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 14 लंबित रिपोर्ट पेश करेगी। उपराज्यपाल के अभिभाषण के बाद इन्हें पेश किया जाएगा। इसके लिए विधानसभा की ओर से तैयारी हो चुकी है।
जिस तरह से भाजपा इन रिपोर्ट को लेकर आक्रामक है, इससे जाहिर है कि आप नेताओं की परेशानी बढ़ने वाली है। आप संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित दिल्ली सरकार में मंत्री रहे आप के सभी प्रमुख नेता इन रिपोर्ट के दायरे में आ रहे हैं।
रिपोर्ट में आबकारी मामला व मुख्यमंत्री रहने के दौरान केजरीवाल के आवास में पुनर्निमाण सहित यमुना व वायु प्रदूषण सहित विभिन्न मामले शामिल हैं। राज्य के वित्त, सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण, शराब विनियमन और दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज की समीक्षा भी शामिल है।
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भाजपा का आरोप है कि आप प्रशासन ने रिपोर्ट को रोक रखा था। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि नई सरकार के पहले सत्र में सभी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएंगी। भाजपा ने आप के कार्यकाल के दौरान बार-बार इन रिपोर्टों को जारी करने की मांग की थी, यहां तक कि सरकार को इन्हें पेश करने का निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था।
भाजपा ने आप सरकार पर कथित भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए जानबूझकर इस मामले में देरी करने का आरोप लगाया था। जिसमें भाजपा ने वित्तीय कुप्रबंधन के निष्कर्षों को दबाने के प्रयास के रूप में देरी को उजागर किया था। विधानसभा चुनावों के दौरान यह एक बड़ा मुद्दा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनावी सभाओं में भी सत्ता में आने पर इन रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की बात कही थी।

जांच के दायरे में एक प्रमुख रिपोर्ट 6-फ्लैग स्टाफ रोड पर मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के जीर्णोद्धार से संबंधित है, जिसे भाजपा ने ‘शीशमहल’ कहा है। आडिट में कथित तौर पर परियोजना की योजना, निविदा और निष्पादन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को उजागर किया है।
इस योजना के लिए शुरुआत में 2020 में 7.61 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, मगर अप्रैल 2022 तक लागत बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गई यानी 342 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भाजपा और कांग्रेस ने इन निष्कर्षों का इस्तेमाल पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल को निशाने पर लिया है, जिसमें सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले इन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने पर चिंता जताई थी और विधानसभा से पिछले साल दिसंबर में एक विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया था। हालांकि आप के कार्यकाल के दौरान पांच साल के दौरान ये रिपोर्ट पेश नहीं की गईं, जिससे उन्हें जारी करने की मांग बढ़ गई थी।

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